[目录]
西游记 .吴承恩.

  1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72 | 73 | 74 | 75 | 76 | 77 | 78 | 79 | 80 | 81 | 82 | 83 | 84 | 85 | 86 | 87 | 88 | 89 | 90 | 91 | 92 | 93 | 94 | 95 | 96 | 97 | 98 | 99 | 100 | 101 | 102 | 103 | 104 | 105 | 106 | 107 | 108 | 109 | 110 | 111 | 112 | 113 | 114 | 115 | 116 | 117 | 118 | 119 | 120 | 121 | 122 | 123 | 124 | 125 | 126 | 127 | 128 | 129 | 130 | 131 | 132 | 133 | 134 | 135 | 136 | 137 | 138 | 139 | 140 | 141 | 142 | 143 | 144 | 145 | 146 | 147 | 148 | 149 | 150 | 151 | 152 | 153 | 154 | 155 | 156 | 157 | 158 | 159 | 160 | 161 | 162 | 163 | 164 | 165 | 166 | 167 | 168 | 169 | 170 | 171 | 172 | 173 | 174 | 175 | 176 | 177 | 178 | 179 | 180 | 181 | 182 | 183 | 184 | 185 | 186 | 187 | 188 | 189 | 190 | 191 | 192 | 193 | 194 | 195 | 196 | 197 | 198 | 199 | 200 | 201 | 202 | 203 | 204 | 205 | 206 | 207 | 208 | 209 | 210 | 211 | 212 | 213 | 214 | 215 | 216 | 217 | 218 | 219 | 220 | 221 | 222 | 223 | 224 | 225 | 226 | 227 | 228 | 229 | 230 | 231 | 232 | 233 | 234 | 235 | 236 | 237 | 238 | 239 | 240 | 241 | 242 | 243 | 244 | 245 | 246 | 247 | 248 | 249 | 250 | 251 | 252 | 253 | 254 | 255 | 256 | 257 | 258 | 259 | 260 | 261 | 262 | 263 | 264 | 265 | 266 | 267 | 268 | 269 | 270 | 271 | 272 | 273 | 274 | 275 | 276 | 277 | 278 | 279 | 280 | 281 | 282 | 283 | 284 | 285 | 286 | 287 | 288 | 289 | 290 | 291 | 292 | 293 | 294 | 295 | 296 | 297 | 298 | 299 | 300 | 301 | 302 | 303 | 304 | 305 | 306 | 307 | 308 | 309 | 310 | 311 | 312 | 313
上一页 下一页
 
  那老魔抖擞威风,丁字步站定,双手举刀,望大圣劈顶就砍。这大圣把头往上一迎,只闻扢扠一声响,头皮儿红也不红。那老魔大惊道:“这猴子好个硬头儿!”大圣笑道:“你不知,老孙是:
 
  生就铜头铁脑盖,天地乾坤世上无。
  斧砍锤敲不得碎,幼年曾入老君炉。
  四斗星官监临造,二十八宿用工夫。
  水浸几番不得坏,周围傣搭板筋铺。
  唐僧还恐不坚固,预先又上紫金箍。”
 
  老魔道:“猴儿不要说嘴!看我这二刀来,决不容你性命!”行者道:“不见怎的,左右也只这般砍罢了。”老魔道:“猴儿,你不知这刀:
 
  金火炉中造,神功百炼熬。
  锋刃依三略,刚强按六韬。
  却似苍蝇尾,犹如白蟒腰。
  入山云荡荡,下海浪滔滔。
  琢磨无遍数,煎熬几百遭。
  深山古洞放,上阵有功劳。
  搀着你这和尚天灵盖,一削就是两个瓢!”
 
  大圣笑道:“这妖精没眼色!把老孙认做个瓢头哩!也罢,误砍误让,教你再砍一刀看怎么。”
 
  那老魔举刀又砍,大圣把头迎一迎,乒乓的劈做两半个。大圣就地打个滚,变做两个身子。那妖一见慌了,手按下钢刀。猪八戒远远望见,笑道:“老魔好砍两刀的!却不是四个人了?”老魔指定行者道:“闻你能使分身法,怎么把这法儿拿出在我面前使!”大圣道:“何为分身法?”老魔道:“为甚么先砍你一刀不动,如今砍你一刀,就是两个人?”大圣道:“妖怪你切莫害怕。砍上一万刀,还你二万个人!”老魔道:“你这猴儿,你只会分身,不会收身。你若有本事收做一个,打我一棍去罢。”大圣道:“不许说谎,你要砍三刀,只砍了我两刀;教我打一棍,若打了棍半,就不姓孙!”老魔道:“正是,正是。”
 
  好大圣,就把身搂上来,打个滚,依然一个身子,掣棒劈头就打,那老魔举刀架住道:“泼猴无礼!甚么样个哭丧棒,敢上门打人?”大圣喝道:“你若问、我这条棍,天上地下,都有名声。”老魔道:“怎见名声?”他道:
 
  棒是九转镔铁炼,老君亲手炉中煅。
  禹王求得号神珍,四海八河为定验。
  中间星斗暗铺陈,两头箝裹黄金片。
  花纹密布鬼神惊,上造龙纹与凤篆。
  名号灵阳棒一条,深藏海藏人难见。
  成形变化要飞腾,飘飖五色霞光现。
上一页 下一页
  1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72 | 73 | 74 | 75 | 76 | 77 | 78 | 79 | 80 | 81 | 82 | 83 | 84 | 85 | 86 | 87 | 88 | 89 | 90 | 91 | 92 | 93 | 94 | 95 | 96 | 97 | 98 | 99 | 100 | 101 | 102 | 103 | 104 | 105 | 106 | 107 | 108 | 109 | 110 | 111 | 112 | 113 | 114 | 115 | 116 | 117 | 118 | 119 | 120 | 121 | 122 | 123 | 124 | 125 | 126 | 127 | 128 | 129 | 130 | 131 | 132 | 133 | 134 | 135 | 136 | 137 | 138 | 139 | 140 | 141 | 142 | 143 | 144 | 145 | 146 | 147 | 148 | 149 | 150 | 151 | 152 | 153 | 154 | 155 | 156 | 157 | 158 | 159 | 160 | 161 | 162 | 163 | 164 | 165 | 166 | 167 | 168 | 169 | 170 | 171 | 172 | 173 | 174 | 175 | 176 | 177 | 178 | 179 | 180 | 181 | 182 | 183 | 184 | 185 | 186 | 187 | 188 | 189 | 190 | 191 | 192 | 193 | 194 | 195 | 196 | 197 | 198 | 199 | 200 | 201 | 202 | 203 | 204 | 205 | 206 | 207 | 208 | 209 | 210 | 211 | 212 | 213 | 214 | 215 | 216 | 217 | 218 | 219 | 220 | 221 | 222 | 223 | 224 | 225 | 226 | 227 | 228 | 229 | 230 | 231 | 232 | 233 | 234 | 235 | 236 | 237 | 238 | 239 | 240 | 241 | 242 | 243 | 244 | 245 | 246 | 247 | 248 | 249 | 250 | 251 | 252 | 253 | 254 | 255 | 256 | 257 | 258 | 259 | 260 | 261 | 262 | 263 | 264 | 265 | 266 | 267 | 268 | 269 | 270 | 271 | 272 | 273 | 274 | 275 | 276 | 277 | 278 | 279 | 280 | 281 | 282 | 283 | 284 | 285 | 286 | 287 | 288 | 289 | 290 | 291 | 292 | 293 | 294 | 295 | 296 | 297 | 298 | 299 | 300 | 301 | 302 | 303 | 304 | 305 | 306 | 307 | 308 | 309 | 310 | 311 | 312 | 313
[目录]