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晏子春秋 ..

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景公嬖妾死守之三日不敛晏子谏第二十一

景公之嬖妾婴子死,公守之,三日不食,肤着于席不去.左右以复,而君无听焉.
晏子入,复曰:“有术客与医俱言曰:‘闻婴子病死,愿请治之.’”公喜,遽起,曰:“病犹可为乎?”
晏子曰:“客之道也,以为良医也,请尝试之.君请屏,洁沐浴饮食,间病者之宫,彼亦将有鬼神之事焉.”公曰:“诺.”屏而沐浴.晏子令棺人入敛,已敛,而复曰:“医不能治病,已敛矣,不敢不以闻.”公作色不说,曰:“夫子以医命寡人,而不使视,将敛而不以闻,吾之为君,名而已矣.”
晏子曰:“君独不知死者之不可以生邪?婴闻之,君正臣从谓之顺,君僻臣从谓之逆.今君不道顺而行僻,从邪者迩,导害者远,谗谀萌通,而贤良废灭,是以谄谀繁于间,邪行交于国也.昔吾先君桓公用管仲而霸,嬖乎竖刁而灭,今君薄于贤人之礼,而厚嬖妾之哀.且古圣王畜私不伤行,敛死不失爱,送死不失哀.行伤则溺己,爱失则伤生,哀失则害性.是故圣王节之也.即毕敛,不留生事,棺椁衣衾,不以害生养,哭泣处哀,不以害生道.今朽尸以留生,广爱以伤行,修哀以害性,君之失矣.故诸侯之宾客惭入吾国,本朝之臣惭守其职,崇君之行,不可以导民,从君之欲,不可以持国.且婴闻之,朽而不敛,谓之僇尸,臭而不收,谓之陈胔.反明王之性,行百姓之诽,而内嬖妾于僇胔,此之为不可.”
公曰:“寡人不识,请因夫子而为之.”
晏子复曰:“国之士大夫,诸侯四邻宾客,皆在外,君其哭而节之.”
仲尼闻之曰:“星之昭昭,不若月之曀曀,小事之成,不若大事之废,君子之非,贤于小人之是也.其晏子之谓欤!”


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