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资治通鉴 111-120 .司马光.

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  手令戒诸子,以为:“从政者当审慎赏罚,勿任爱憎,近忠正,远佞谀,勿使左右窃弄威福。毁誉之来,当研核真伪;听讼折狱,必和颜任理,慎勿逆诈忆必,轻加声色。务广咨询,勿自专用。吾莅事五年,虽未能息民,然含垢匿瑕,朝为寇雠,夕委心膂,粗无负于新旧,事任公平,坦然无,初不容怀,有所损益。计近则如不足,经远乃为有余,庶亦无愧前人也。”

  李写下一首手谕,告诫他的几个儿子,认为:“从事政务的人应当对奖赏或惩罚非常谨慎,万万不能任凭自己的爱憎,随意而为,接近忠直正派的人,疏远奸佞阿谀的小人,不让自己左右亲近的人暗地里操纵权力,作威作福。别人毁谤或者赞誉你的时候,应当仔细斟酌辩别是真是假。听取讼诉,判定案情,一定要和颜悦色地按规章情理仔细处置,千万不要事先推测对方心怀奸诈,主观臆断,轻易地发脾气。要尽量争取多听别人的意见,不要自己独断专行。我主持政事五年来,虽然不能说使百姓得到了很好的休息安抚,但是,我尽量地宽容别人的错误,掩饰别人的缺点,所以才使早上还是对手、仇人的人,到晚上便可能成为知心朋友。大体上,没有什么对不起那些新知旧友的地方,因为我处事公平,胸怀坦荡,没有偏差,一点儿也不许因私意有所变更。这样做,从眼前的利益来考虑,好像是要受到些损失,但是时间一久,才能看出好处来,也只有这样,在前人的面前,我才可说是无愧的。”

  [20]十二月,燕王熙袭契丹。

   [20]十二月,后燕王慕容熙进攻契丹。

  二年(丙午、406)

   二年(丙午、公元406年)

  [1]春,正月,甲申,魏主如豺山宫。诸州置三刺史,郡置三太守,县置三令长;刺史、令长各之州县。太守虽置而未临民、功臣为州者皆征还京师,以爵归第。

   [1]春季,正月,甲申(初八),北魏国主拓跋来到豺山宫。并下令,每个州设置三个刺史,每个郡设置三个太守,每个县设置三个令长。其中,刺史、令长等各去到所在州县上任,太守虽然设置了却并不上任,有功之臣管辖州所的,都被征召回京师,保持原有的爵位,回家。

  [2]益州刺史司马荣期击谯明子于白帝,破之。

   [2]东晋益州刺史司马荣期,在白帝进攻西蜀政权的谯明子,将他打败。

  [3]燕王熙至陉北,畏契丹之众,欲还,苻后不听;戊申,遂弃辎重,轻兵袭高句丽。

   [3]后燕王慕容熙抵达陉北,因为害怕契丹部落人多,打算回去,但苻皇后却不听从。戊申(二月初二),慕容熙只好放弃笨重的军用物资,用轻装部队袭击高句丽。

  [4]南燕王超猜虐日甚,政出权幸,盘于游,封孚、韩屡谏不听。超尝临轩问孚曰:“联可方前世何主?”对曰:“桀、纣。”超惭怒,孚徐步而出,不为改容。鞠仲谓孚曰:“与天子言,何得如是!宜还谢。”孚曰:“行年七十,惟求死所耳!”竟不谢。超以其时望,优容之。

   [4]南燕国主慕容超的猜忌、暴虐一天比一天厉害,政令完全由受他宠幸的掌权者颁发,自己则沉迷于游牧打猎,封孚、韩多次规劝,他也不听。慕容超曾有一次在金殿之上问封孚道:“联可以和前代的 哪位君主相比?”封孚回答说:“桀、纣。”慕容超既惭愧又气愤,封孚则缓缓地从容走出,神 色不改。鞠仲对封孚说:“与天子说话,怎么能够这样呢?你应该回去谢罪。”封孚说:“我现在已经年过七十,只求死得其所罢了!”竟然不去请罪。慕容超因为他在当时声望很高,所以特别地宽容了他。

  [5]桓玄之乱,河间王昙之子国、叔奔南燕,二月,甲戌,国等攻陷弋阳。

   [5]东晋桓玄叛乱时,河间王司马昙之的儿子司马国、司马叔逃奔南燕。二月,甲戌(二十八日),司马国等人攻陷弋阳。
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