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资治通鉴 111-120 .司马光.

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  [1]春,正月,甲辰,以琅邪王德文领司徒。

   [1]春季,正月,甲辰(初九),东晋任命琅邪王司马德文兼司徒职务。

  刘毅等不欲刘裕入辅政,议以中领军谢混为扬州刺史;或欲令裕於丹徒领扬州,以内事付孟昶。遣尚书右丞皮沈以二议谘裕,沈先见裕记室录事参军刘穆之,具道朝议。穆之伪起如厕,密疏白裕曰:“皮沈之言不可从。”裕既见沈,且令出外,呼穆之问之。穆之曰:“晋朝失政日久,天命已移。公兴复皇祚,勋高位重,今日形势,岂得居谦,遂为守藩之将耶!”刘、孟诸公,与公俱起布衣,共立大义以取富贵,事有先后,故一时相推,非为委体心服,宿定臣主之分也;力敌势均,终相吞噬。扬州根本所系,不可假人。前者以授王谧,事出权道;今若复以他授,便应受制於人。一失权柄,无由可得,将来之危,难可熟念。今朝议如此,宜相酬答,必云在我,措辞又难,唯应云:‘神州治本,宰辅崇要,此事既大,非可悬论,便暂入朝,共尽同异。’公至京邑,彼必不敢越公更授馀人明矣。”裕从之。朝延乃征裕为侍中、车骑将军、开府仪同三司、扬州刺史、录尚书事,徐、兖二州刺史如故。裕表解兖州,以诸葛长民为青州刺史,镇丹徒,刘道怜为并州刺史,戍石头。

  刘毅等人不希望刘裕进入朝中辅佐政事,因而商议任命中领军谢混为扬州刺史,也有人打算让刘裕在丹徒兼管扬州,而把朝中的政务交给孟昶管理。朝廷特意派尚书右丞皮沈带着这两个方案,前去征求刘裕意见。皮沈首先拜见刘裕的记室录事参军刘穆之,把朝廷讨论的情形全部告诉了他。刘穆之假装起身上厕所,秘密地写了一篇书疏告诉刘裕说:“皮沈说的话,千万不要同意。”刘裕召见皮沈后,暂时先让他出去,又把刘穆之叫进去询问。刘穆之说:“晋朝对朝政失去控制,时间已经很久了,现在上天的福命已经转移。您兴复皇家的事业,功高德勋,地位重要,在今天的形势之下,怎么还能一味谦让,而去永远做一个老守藩地的普通地方将领呢?刘毅、孟昶几个人,与您都是从百姓开始起家的,当年一起倡导大义,争取富贵。但举事的时候,有先有后,所以当时便都推举您做了盟主,他们并不是诚心诚意地对您心服口服、不惜献身,也不是决定和您有君臣的名分。所以,当他们的力量和您相当,地位也差不太多的时候,终究是要互相吞并、排挤的。正因如此,扬州是可以起到决定性作用的根本所在,决不可以把它拱手让给别人。上一次把它交给王谧,不过是处理事情的权宜之计,这次如果再把它交给别人,可就要受到别人的制约。权柄一旦丧失,再想得到,但没有理由和机会了,那样一来,将来的危险,实在无法想象。现在朝廷这样商议,您理应表明一下态度,作出回答。但是如果说只有我自己合适,又未免难于启齿用辞,所以,只应该这样说:‘中央地区是治理国家的根本所在,辅佐君王的宰相一级官员,地位也非常重要。选定这样的官员一事既然如此重大,便决不可以在外地随便发几声空议论敷衍,最近我抽时间前往京都,再与你们一起充分地交换意见。’您到了都城,他们一定不敢越过您再把这官职交给别的人,这是不言自明的。”刘裕听从了他的话。朝廷于是征召刘裕任侍中、车骑将军、开府仪同三司、扬州刺史、录尚书事,他原来的徐、兖二州刺史的职务仍然兼任。刘裕上表请求解除自己兖州的职务,任命诸葛长民为青州刺史,镇守丹徒,任命刘道怜为并州刺史,戍卫石头。

  [2]庚申,武陵忠敬王遵薨。

   [2]庚申(二十五日),东晋武陵忠敬王司马遵去世。
  [3]魏主如豺山宫,遂至宁川。

   [3]北魏国主拓跋来到豺山宫,又到宁川。

  [4]南燕主超尊其母段氏为皇太后,妻呼延氏为皇后。超祀南郊,有兽如鼠而赤,大如马,来至坛侧。须臾,大风昼晦,羽仪帷幄皆毁裂。超惧,以问太史令成公绥,对曰:“陛下信用奸佞,诛戮贤良,赋敛繁多,事役殷重之所致也。”超乃大赦,黜公孙五楼等,俄而复用之。

   [4]南燕国主慕容超尊奉他的母亲段氏为皇太后,封他的妻子呼延氏为皇后。慕容超到南郊祭祀上天,有一种野兽,样子像老鼠一样,红毛,像马一般大,来到祭坛的旁边。一会儿,狂风骤起,天色昏暗,王室仪仗的羽饰帘帐全部被吹毁。慕容超非常恐惧,问太史令成公绥这是怎么回事,成公绥回答说:“这是陛下宠信重用奸佞的小人,诛杀屠戮俊贤良才,赋税繁重,过分劳役百姓所导致。”慕容超于是下令大赦,罢免了公孙五楼等人,但不久又再次任用了他。

  [5]北燕王云立妻李氏为皇后,子彭城为太子。

   [5]北燕王高云册立他的妻子李氏为皇后,立他的儿子高彭城为太子。

  三月,庚申,葬燕王熙及苻后于微平陵,谥熙曰昭文皇帝。

   三月,庚申(二十六日),把后燕王慕容熙和苻皇后安葬在徽平陵。追谥慕容熙为昭文皇帝。

  高句丽遣使聘北燕,且叙宗族,北燕王云遗侍御史李拔报之。

  高句丽派遣使者前往北燕访问,并讲述两国宗族血统的关系。北燕王高云也派遣侍御史李拔进行了回访。
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