[目录]
资治通鉴 141-150 .司马光.

  1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72 | 73 | 74 | 75 | 76 | 77 | 78 | 79 | 80 | 81 | 82 | 83 | 84 | 85 | 86 | 87 | 88 | 89 | 90 | 91 | 92 | 93 | 94 | 95 | 96 | 97 | 98 | 99 | 100 | 101 | 102 | 103 | 104 | 105 | 106 | 107 | 108 | 109 | 110 | 111 | 112 | 113 | 114 | 115 | 116 | 117 | 118 | 119 | 120 | 121 | 122 | 123
上一页 下一页

  帝数往诸刀敕家游宴,有吉凶辄往庆吊。

  东昏侯数次去在他身边执刀和传达圣旨的人家中游玩吃喝,这些人家中有红白喜事,他都前去庆贺或吊唁。

  奄人王宝孙,年十三四,号为“伥子”,最有宠,参预朝政,虽王之、梅虫儿之徒亦下之;控制大臣,移易诏敕,乃至骑马入殿,诋诃天了;公卿见之,莫不慑息焉。

  阉人王宝孙,年龄才十三四岁,外号叫“伥子”,最受东昏侯宠幸。他参预朝廷政事,就是王之、梅虫儿之辈也对他恭顺。他可以控制大臣,篡改圣旨,甚而至于骑着马进入殿内,敢于当面诋斥东昏侯。所以,公卿大臣们见了他,都吓得连大气也不敢喘。

  [14]吐谷浑王伏连筹事魏尽礼,而居其国,置百官,皆如天子之制,称制于其邻国。魏主遣使责而宥之。

   [14]吐谷浑王伏连筹事奉北魏能够尽藩臣之礼,但是在自己的国内,却设置百官,一切都同天子一模一样,并且给邻国的公文像皇帝一样称为“制”。所以,北魏国主派遣使节去既指责了他的这种做法,同时又宽恕了他。

  [15]冠军将军、骠骑司马陈伯之再引兵攻寿阳,魏彭城王勰拒之。援军未至,汝阴太守傅永将郡兵三千求寿阳。伯之防淮口甚固,永去淮口二十余里,牵船上汝水南岸,以水牛挽之,直南趣淮,下船即渡;适上南岸,齐兵亦至。会夜,永潜入城,勰喜甚,曰:“吾北望已久,恐洛阳难可复见;不意卿能至也。”勰令永引兵入城,永曰:“永之此来,欲以却敌;若如教旨,乃是与殿下同受攻围,岂救援之意!”遂军于城外。秋,八月,乙酉,勰部分将士,与永并势,击伯之于肥口,大破之,斩首九千,俘获一万,伯之脱身遁还,淮南遂入于魏。

   [15]南齐冠军将军、骠骑司马陈伯之再次率兵去攻打寿阳,北魏彭城王元勰率部抵抗。北魏增援部队没有到来,汝阳太守傅永率领郡中之兵三千人去援救寿阳。陈伯之守淮口,防守坚固,傅永离开淮口二十多里,用水牛牵拉着船上了汝水南岸,直接往南去淮河。到了淮河,把船推入河中立即渡河而过。过河之后,刚上了淮河南岸,南齐军队也到了。正好是夜间,傅永偷偷进入寿阳城中,元勰见傅永前来增援,高兴万分,说道:“我一直向北边张望,盼望援兵快点到来,唯恐不能再见到洛阳,实在没想到您能前来。”元勰命令傅永领兵进城,但是傅永却说:“我此番前来,为的是抵挡敌兵,如果象您所吩咐的崐这样把部队带入城内,乃是与殿下一同受敌人围攻,那里是来援救呢?”于是,把部队驻扎在城外。秋季,八月乙酉(十八日),元勰调遣、部署将士,同傅永协力作战,在肥口对陈伯之发起猛烈攻击,大获全胜,斩杀南齐兵将九千,俘虏一万,陈伯之死里逃生,逃回去了。于是,淮南被北魏占领。

  魏遣镇南将军元英将兵救淮南,未至,伯之已败,魏主召勰还洛阳。勰累表辞大司马、领司徒,乞还中山;魏主不许。以元英行扬州事。寻以王肃为都督淮南诸军事、扬州刺史,持节代之。

  北魏派遣镇南将军元英率兵援救淮南,还没有到达,陈伯之就失败了,宣武帝元恪诏令元勰返回洛阳。元勰屡次上表要辞去大司马兼司徒的官职,乞请回到中山去,元恪不批准。北魏派任元英代理扬州刺史,但是很快又任命王肃为都督淮南诸军事、扬州刺史,持朝廷所授符节取代了元英。

  [16]甲辰,夜,后宫火。时帝出未还,宫内人不得出,外人不敢辄开;比及开,死者相枕,烧三十余间。

   [16]甲辰(疑误),夜间,南齐后宫失火。当时,东昏侯去市里游走没有回宫,宫内之人不得出去,而外面的人又不敢擅自打开后宫门去救火,等到后宫门开了之后,烧死者尸体遍地,共烧毁房宇三十多间。

  时嬖幸之徒皆号为鬼。有赵鬼者,能读《西京赋》,言于帝曰:“柏梁既灾,建章是营。”帝乃大起芳乐、玉寿等诸殿,以麝香涂壁,刻画装饰,穷极绮丽。役者自夜达晓,犹不副速。

  当时,东昏侯周围的宠幸之徒都号称为鬼,有一个叫赵鬼的,能读《西京赋》,引用其中之言对东昏侯说:“柏梁台既然被烧毁了,那么就营建章宫。”于是,东昏侯就大兴土木,修建芳乐、玉寿等殿,并且用麝香涂在墙壁上,雕画装饰,富丽堂皇,豪华到了极点。参加营建的劳役白天黑夜不停地干,还不能达到东昏侯所要求的速度。

  后宫服御,极选珍奇,府库旧物,不复周用。贵市民间金宝,价皆数倍。建康酒租皆折使输金,犹不能足。凿金为莲华以帖地,令潘妃行其上,曰:“此步步生莲华也。”又订出雉头、鹤氅、白鹭。嬖幸因缘为奸利,课一输十。又各就州县求为人输,准取见直,不为输送,守宰皆不敢言,重要科敛。如此相仍,前后不息,百姓困尽,号泣道路。

上一页 下一页
  1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72 | 73 | 74 | 75 | 76 | 77 | 78 | 79 | 80 | 81 | 82 | 83 | 84 | 85 | 86 | 87 | 88 | 89 | 90 | 91 | 92 | 93 | 94 | 95 | 96 | 97 | 98 | 99 | 100 | 101 | 102 | 103 | 104 | 105 | 106 | 107 | 108 | 109 | 110 | 111 | 112 | 113 | 114 | 115 | 116 | 117 | 118 | 119 | 120 | 121 | 122 | 123
[目录]