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资治通鉴 191-200 .司马光.

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  [14]乙酉,上问给事中孔颖达曰:“《论语》:‘以能问于不能,以多问于寡,有若无,实若虚。’何谓也?”颖达具释其义以对;且曰:“非独匹夫如是,帝王亦然。帝王内蕴神明,外当玄默,故《易》称‘以蒙养正,以明夷莅众。’若位居尊极,炫耀聪明,以才陵人,饰非拒谏,则下情不通,取亡之道也。”上深善其言。

  [14]乙酉(十九日),太宗问给事中孔颖达:“《论语》说:‘有能力的人向无能力的人请教,知识丰富的人向知识匮乏的人请教;有学问像没学问一样,满腹知识象空无所有一样。’如何解释?”孔颖达完满地解释其本义,且说:“非独一般人如此,帝王也当如此。帝王内心蕴含如神之明,但外表却当沉静无为,所以《易经》说‘以久表蒙昧来修养贞正之德,用藏智于内的办法来治理民众。’假如身居至高无上的地位,炫耀自己的聪明,依恃才气盛气凌人,掩饰错误,拒绝纳阑,那么就造成下情无法上达,这是自取灭亡之道。”太宗十分赞许他的话。

  [15]庚寅,突厥郁射设帅所部来降。

  [15]庚寅(二十四日),突厥郁射设率领所部投降唐朝。

  [16]闰月,丁未,东谢酋长谢元深、南谢酋长谢强来朝。诸谢皆南蛮别种,在黔州之西。诏以东谢为应州、南谢为庄州,隶黔州都督。

  [16]闰十二月,丁未(十一日),东谢部落首领谢元深、南谢首领谢强前来归附唐朝。诸谢部族均是南蛮一支,聚居在黔州西部地区。唐朝廷下令改东谢所在地为应州,南谢所在地为庄州,均隶属于黔州都督。

  是时远方诸国来朝贡诸甚众,服装诡异,中书侍郎颜师古请图写以示后,作《王会图》,从之。

  当时远方周边各国均向唐朝进献贡品,到长安的人较多,服装怪异,中书侍郎颜师古请求绘制《王会图》,绘下每个民族及其服饰以传示给后人,太宗应允。

  乙丑,柯酋长谢能羽及充州蛮入贡,诏以柯为州;党项酋长细封步赖来降,以其地为轨州;各以其酋长为刺史。党项地亘三千里,姓别为部,不相统壹,细封氏,费听氏、往利氏、颇超氏、野辞氏、旁当氏、米擒氏、拓跋氏,皆大姓也。止赖既为唐所礼,馀部相继来降,以其地为,奉、岩、远四州。

  乙丑(二十九日),柯首领谢能羽以及充州蛮进献贡品,诏令在柯设置州;党项族首领细封步赖归顺唐朝,以其聚居地为轨州;又任命其首领为刺史。党项据地三千里,每姓别为一部,互不统属,细封氏、费听氏、往利氏、颇超氏、野辞氏、旁当氏、米擒氏,拓跋氏、均是其大姓。步赖既已受唐朝礼遇,其余各部相继来降,唐朝廷以其聚居地为、奉、岩、远四州。

  [17]是岁,户部奏:中国人自塞外归及四夷前后降附者,男女一百二十余万口。

  [17]这一年,户部上奏称:大唐人从塞外归来以及四方夷族前后归顺唐朝的计有男女一百二十余万人。

  [18]房玄龄、王掌内外官考,治书侍御史万年权万纪奏其不平,上命侯君集推之。魏徵谏曰:“玄龄、皆朝廷旧臣,素以忠直为陛下所委,所考既多,其间能无一二人不当!察其情,终非阿私。若推得其事,则皆不可信,岂得复当重任!且万纪比来恒在考堂,曾无驳正;及身不得考,乃始陈论。此正欲激陛下之怒,非竭诚徇国也。使推之得实,未足裨益朝廷;若其本虚,徒失陛下委任大臣之意。臣所爱者治体,非敢苟私二臣。”上乃释不问。

  [18]房玄龄、王执掌朝廷内外官吏的考核,治书侍御史、万年人权万纪上奏称有不公平之处,太宗命侯君集重加推勘。魏徵劝谏道:“房玄龄、王均是朝中老臣,素以忠诚正直为陛下所信任,所考核的官员过多,中间能没有一二个人考核失当?体察其实情,绝不是有偏私。假如找到失当之处,那就不可

  信,怎么能重新担当重任呢!而且权万纪近来一直在考堂叙职,并没有任何驳正,等到自己没得到好的考核结果,才开始陈述意见。这正是想激怒陛下,并非竭诚为国。假如推问后得到考核失当的实情,于朝廷也没有什么益处;如果本来便虚妄,徒失陛下委任大臣的一片心意。我真正关心的是国家政体,不敢袒护房、王二人。”太宗于是放下此事不再过问。

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