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资治通鉴 211-220 .司马光.

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  [2]丙辰,改蒲州为河中府,置中都官僚,一准京兆、河南。

  [2]丙辰(初七),唐玄宗下诏将蒲州改为河中府,设置中都官僚,员数、品级与京兆府和河南府相同。

  [3]丙寅,上幸骊山温汤;乙亥,还宫。

  [3]丙寅(十七日),唐玄宗来到骊山温泉;乙亥(二十六日)。玄宗回到宫中。

  [4]监察御史宇文融上言,天下户口逃移,巧伪甚众,请加检括。融,之玄孙也,源乾曜素爱其才,赞成之。二月,乙酉,敕有司议招集流移、按诘巧伪之法以闻。

  [4]监察御史宇文融进言,认为全国各地民户人口流散逃移,弄虚作假现象十分普遍,希望加以核查。宇文融是宇文的玄孙,源乾曜向来喜欢他的才能,故而极为赞成他的建议。二月,乙酉(初八),玄宗敕令有关部门研究一下招集流散人口以及追查弄虚作假现象的办法,并将研究结果上奏。

  [5]丙戌,突厥毗伽复使来求和。上赐书,谕以“曩昔国家与突阙和亲,华、夷安逸,甲兵休息;国家买突厥羊马,突厥受国家缯帛,彼此丰给。自数十年来,不复如旧,正由默啜无信,口和心叛,数出盗兵,寇抄边鄙,人怨神怒,陨身丧元,吉凶之验,皆可汗所见。今复蹈前迹,掩袭甘、凉,随遣使人,更来求好。国家如天之覆,如海之容,但取来情,不追往咎。可汗果有诚心,则共保遐福;不然,无烦使者徒尔往来。若其侵边,亦有以待。可汗其审图之!”

  [5]丙戌(初九),突厥可汗毗伽又派遣使者入朝请求和解。唐玄宗写给毗伽一封信,信中说:“过去大唐与突阙和亲,华夏人和突阙人安居乐业,两国军队也相安无事;大唐买进突厥的牛羊马匹,突厥则接受大唐的各种丝织品,双方都丰衣足食。最近几十年来,两国关系之所以不如往常,完全是由于默啜可汗言而无信,嘴里讲的是和亲,心里无时不想叛离,屡次派兵入侵,掠夺边疆地区百姓的财产,终致人怨神怒,自己被人杀死。善恶吉凶的报应,都是可汗亲眼所见。现在可汗又走上默啜的老路,先是入侵甘、凉二州,随后又派使者前来求和修好。我大唐如上天无不覆盖,如大海容纳一切,只看今后的情况,不追究从前的过错。可汗如果真有求和的诚意,则我们两国就能保持长久之福;否则就不必麻烦使者白白地往来走动。倘若突厥兵再次入侵,我大唐也早已做好了准备。何去何从,请可汗仔细考虑!”

  [6]丁亥,制:“州县逃亡户口听百日自首,或于所在附籍,或牒归故乡,各从所欲。过期不首,即加检括,谪徙边州;公私敢容庇者抵罪。”以宇文融充使,括逃移户口及籍外田,所获巧伪甚众。迁兵部员外郎兼侍御史。融奏置劝农判官十人,并摄御史,分行天下。其新附客户,免六年赋调。使者竞为刻急,州县承风劳扰,百姓苦之。阳翟尉皇甫憬上疏言其状;上方任融,贬憬盈川尉。州县希旨,务于获多,虚张其数,或以实户为客,凡得户八十余万,田亦称是。

  [6]丁亥(初十),唐玄宗颁下制命:“各州县逃亡的户口,允许在百日内自己主动申报,或在现在的住地编入户籍,或发文书回原籍申报户口,都可按自己的心愿办理。凡过期不报者,一经官府查出,一律迁徙到边远州县安置。官民人等如有隐藏包庇者,也照此处治。”任命宇文融充任朝廷使者,负责搜求逃亡流失的户口及清查隐瞒不服的田地,查出的弄虚作假现象非常多。宇文融因此被擢升为兵部员外兼侍御史。宇文融还奏请唐玄宗设置了十位劝农判官,都兼任代理御史,分头巡行全国各地。凡新近编入户籍的客户,均免除六年的赋调。各路使者在执法上竞相追求严峻苟刻,所在州县官吏又一味迎合使者,变本加厉地骚扰百姓,致使百姓苦不堪言。阳翟县尉皇甫憬上疏反映这一情况,由于玄宗正信任宇文融,所以皇甫憬反被贬职为盈川尉。州县官吏迎合上司的旨意,务求多得逃户,为此不惜虚报数量,甚至有的把户籍中原有的户也当作新增的客户呈报上去。此次共查出流失的民户八十余万,查出的被隐瞒土地的数目也与此基本相当。

  [7]兰池州胡康待宾诱诸降户同反,夏,四月,攻陷六胡州,有众七万,进逼夏州;命朔方大总管王、陇右节度使郭知运共讨之。

  [7]兰池州的胡人康待宾诱使当地所有归降的人一同叛唐。夏季,四月,康待宾率部攻陷了六胡州,麾下已聚集了七万之众,并乘胜进逼夏州。唐玄宗命朔方大总管王和陇右节度使郭知运共同讨伐康待宾。

  [8]戊戌,敕:“京官五品以上,外官刺史、四府上佐,各举县令一人,视其政善恶,为举者赏罚。”

  [8]戊戌(二十日),唐玄宗发布敕命:“五品以上的京官,各州刺史及京兆、河南、河中、太原四府的府尹、少尹,每人向朝廷推荐一位县令,朝廷将根据其政绩的好坏对举荐者进行赏罚。”

  [9]以太仆卿王毛仲为朔方道防御讨击大使,与王及天兵军节度大使张说相知讨康待宾。

  [9]唐玄宗任命太仆寺卿王毛仲为朔方道防御讨击大使,与王及天兵军节度大使张说一同征讨康待宾。
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