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资治通鉴 211-220 .司马光.

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  [2]二月,敕曰:“进士以声韵为学,多昧古今;明经以帖诵为功,罕穷旨趣。自今明经问大义十条,对时务策三首;进士试大经十贴。”

  [2]二月,玄宗下敕书说:“科举考试中的进士科主要以考声韵辞学为主,不能够通古今之变;明经科主要以考帖经和诵经为主,很少有人知道其意义。从今以后,明经科考大义十条,回答对时事的看法三道;进士科考试帖大经士道。”

  [3]戊辰,新罗王兴光卒,子承庆袭位。

  [3]戊辰(二十四日),新罗国王金兴光去世,他的儿子金承庆继位。

  [4]乙酉,幽州节度使张守破契丹于捺禄山。

  [4]乙酉(疑误),幽州节度使张守于捺禄山打败契丹军队。

  [5]己亥,河西节度使崔希逸袭吐蕃,破之于青海西。

  [5]己亥(疑误),河西节度使崔希逸率兵袭击吐蕃军队,败吐蕃于青海西面。

  初,希逸遣使谓吐蕃乞力徐曰:“两国通好,今为一家,何必更置兵守捉,妨人耕牧!请皆罢之。”乞力徐曰:“常侍忠厚,言必不欺。然朝廷未必专以边事相委,万一有奸人交斗其间,掩吾不备,悔之何及!”希逸固请,乃刑白狗为盟,各去守备;于是吐蕃畜牧被野。时吐蕃西击勃律,勃律来告急,上命吐蕃罢兵,吐蕃不奉诏,遂破勃律;上甚怒。会希逸人孙诲入奏事,自欲求功,奏称吐蕃无备,请掩击,必大获。上命内给事赵惠琮与诲偕往,审察事宜。惠琮等至,则矫诏令希逸袭之。希逸不得已,发兵自凉州南入吐蕃二千余里,至青海西,与吐蕃战,大破之,斩首二千余级,乞力徐脱身走。惠琮、诲皆受厚赏,自是吐蕃复绝朝贡。

  起初,崔希逸派遣使者对吐蕃将领乞力徐说:“我们两国已经和好,就像一家人一样,何必在边疆再设置兵力防守捉人,而妨碍边民耕田放牧!希望撤消这些兵力。”乞力徐说:“崔常侍忠厚老实,必定不会欺骗我。但是你们朝廷未必把边防大权都交给边将,万一有奸诈小人从中捣鬼离间,乘我们不备而袭击,到那时后悔也来不及了!”崔希逸坚持请求罢兵,于是就杀白狗歃血结盟,各自撤去守卫的军队。从此吐蕃边民畜牧业繁盛,牛羊遍野。这时吐蕃向西攻打勃律国,勃律派遣使者来求援,玄宗命令吐蕃罢兵,吐蕃不听,并打败了勃律,玄宗十分愤怒。正好崔希逸的侍从孙诲入朝上奏边事,自己想要立功,就上奏说吐蕃军队毫无防备,如果出兵袭击,必能大获全胜。玄宗就命令内给事赵惠琮与孙诲一起回河西镇,研究部署袭击吐蕃的军事行动。赵惠琮到后,就假传诏旨令崔希逸向吐蕃进攻。崔希逸没有办法,只好率兵从凉州出发,向南深入吐蕃内二千余里,到了青海西面,与吐蕃军队交战,打败了吐蕃,杀死二千余人,乞力徐逃走。赵惠琮和孙诲都因此受到朝廷的重赏,于是吐蕃再次断绝了对唐朝的朝贡。

  [6]夏,四月,辛酉,监察御史周子谅弹牛仙客非才,引谶书为证。上怒,命左右于殿庭,绝而复苏;仍杖之朝堂,流州,至蓝田而死。李林甫言,“子谅,张九龄所荐也。”甲子,贬九龄荆州长史。

  [6]夏季,四月辛酉(十七日),监察御史周子谅弹劾说牛仙客非宰相之才,并引谶书中的谶语为证。玄宗大怒,命令左右的人在朝堂猛打周子谅,周子谅被打昏了又苏醒过来,然后又在朝堂用棍棒毒打,并流放州。周子谅走到蓝田就死了。李林甫说:“周子谅是张九龄推荐的人。”甲子(二十日),贬张九龄为荆州长史。

  [7]杨洄又奏太子瑛、鄂王瑶、光王琚,云与太子妃兄驸马薛锈潜构异谋,上召宰相谋之。李林甫对曰:“此陛下家事,非臣等所宜豫。”上意乃决。乙丑,使宦者宣制于宫中,废瑛、瑶、琚为庶人;流锈于州;瑛、瑶、琚寻赐死城东驿,锈赐死于蓝田。瑶、琚皆好学有才识,死不以罪,人皆惜之。丙寅,瑛舅家赵氏、妃家薛氏、瑶舅家皇甫氏,坐流贬者数十人,惟瑶妃家韦氏以妃贤得免。

  [7]杨洄又上奏说太子李瑛、鄂王李瑶与光王李琚联结太子妃子的哥哥驸马薛锈图谋不轨,玄宗就召宰相商议。李林甫回答说:“这是陛下的家事,我们做臣下的不应该参与。”玄宗听后才下了决心。乙丑(二十一日),让宦官于宫中宣布制书,废李瑛、李瑶与李琚为平民,流放薛锈于州。不久,李瑛、李瑶与李琚被赐死于京城东面的驿站,薛锈被赐死于蓝田县。李瑶与李琚都很有才学,无罪而死,人们都十分惋惜。丙寅(二十二日),李瑛的舅家赵氏、妃子家薛氏以及李瑶的舅家皇甫氏因此案被流放贬官的达数十人,只有李瑶的妃子家韦氏因为韦妃贤惠而免受惩罚。

  [8]五月,夷州刺史杨浚从坐赃当死,上命杖之六十,流古州。左丞相裴耀卿上疏,以为“决杖赎死,恩则甚优,解体受笞,事颇为辱,止可施之徒隶,不当及于士人。”上从之。

  [8]五月,夷州刺史杨浚因为贪污钱财应该处死,玄宗命令杖打六十棍棒,流放到古州。左丞相裴耀卿上疏说:“以杖刑代替死罪,陛下的处理确是宽厚的,但是这样被打得肢体损伤,却是一件耻辱的事情,这种刑罚只能用于平民百姓,不应该用在读书人身上。”玄宗听从了他的建议。
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