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资治通鉴 221-230 .司马光.

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  [30]敕乾元大小钱皆一当一,民始安之。

  [30]代宗下令大小乾元通宝钱都以一当一,百姓这才安心。

  [31]史朝义自围宋州数月,城中食尽,将陷,刺史李岑不知所为。遂城果毅开封刘昌曰:“仓中犹有曲数千斤,请屑食之;不过二十日,李太尉必救我。城东南隅最危,昌请守之。”李光弼至临淮,诸将以朝义兵尚强,请南保扬州。光弼曰:“朝廷倚我以为安危,我复退缩,朝廷何望!且吾出其不意,贼安知吾之众寡!”遂径趣徐州,使兖郓节度使田神功进击朝义,大破之。先是,田神功既克刘展,留连扬州未还,太子宾客尚衡与左羽林大将军殷仲卿相攻于兖、郓,闻光弼至,惮其威名,神功遽还河南,衡、仲卿相继入朝。

  [31]自从史朝义围困宋州以来已有数月,城中粮食已经用尽,宋州即将陷落,刺史李岑束手无策。遂城府果毅开封人刘昌说:“粮仓中还有几千斤酒曲,请捣碎吃,不出二十天,李太尉必定前来救援我们。城东南角最危急,请让我前去防守。”这时,李光弼来到临淮,诸位将领认为史朝义兵力还很强大,请求向南退保扬州。李光弼说:“朝廷依靠我来决定安危,我再退缩,朝廷还指望什么呢!况且我出其不意,贼军哪里知道我军众寡!”于是直赴徐州,派兖郓节度使田神功进击史朝义,将史朝义打得大败。起先,田神功已经攻克刘展,留恋扬州不愿回去,太子宾客尚衡与左羽林大将军殷仲卿在兖州、郓州相互攻击,听说李光弼到来,都慑于李光弼的威望,田神功急速返回河南,尚衡、殷仲卿也相继入朝。

  光弼在徐州,惟军旅之事自决之,自余众务,悉委判官张。吏事精敏,区处如流,诸将白事,光弼多令与议之,诸将事如光弼,由是军中肃然,东夏以宁。先是,田神功起偏裨为节度使,留前使判官刘位等于幕府,神功皆平受其拜;及见光弼与抗礼,乃大惊,遍拜位等曰:“神功出于行伍,不知礼仪,诸君亦胡为不言,成神功之过乎!”

  李光弼在徐州,只有军队的事情自己决断,其余一切事务都委托判官张处理。张为政精明,处理事务十分自如,诸将陈述事情,李光弼多让与张商议,诸将事奉张如同事奉李光弼,因此军中整肃,东夏得以安宁。先前,田神功从副将出身作到节度使,将前节度使判官刘位等人留在节度使幕府中,大模大样接受他们的叩拜;等到看到李光弼与张行对等礼时,才大吃一惊,于是一一拜谢刘位等人,说道:“田神功行伍出身,不懂礼仪,诸位为什么也不说,铸成田神功的错呢?”

  [32]丁酉,赦天下。

  [32]丁酉(十九日),大赦天下。

  [33]立皇子益昌王邈为郑王,延为庆王,迥为韩王。

  [33]代宗册封皇子益昌王李邈为郑王,李延为庆王,李迥为韩王。

  [34]来闻徙淮西,大惧,上言:“淮西无粮,请俟收麦而行”;又讽将吏留己。上俗姑息无事,壬寅,复以为山南东道节度使。

  [34]来听说让他去淮西任节度使,十分害怕,进言说:“淮西没有粮食,请等到收麦后再动身前去。”同时又暗示将领们挽留自己。代宗想息事宁人,壬寅(二十四日),再次任命来为山南东道节度使。

  [35]飞龙副使程元振谋夺李辅国权,密言于上,请稍加裁制。六月,己未,解辅国行军司马及兵部尚书,余如故,以元振代判元帅行军司马,仍迁辅国出居外第。于是道路相贺。辅国始惧,上表逊位。辛酉,罢辅国兼中书令,进爵博陆王。辅国入谢,愤咽而言曰:“老奴事郎君不了,请归地下事先帝!”上犹慰谕而遣之。

  [35]飞龙副使程元振谋划夺取李辅国的权力,悄悄地请求代宗对李辅国稍加制裁。六月己未(十一日),代宗解除了李辅国行军司马及兵部尚书的职务,其余职务不变,让程元振取代李辅国兼任元帅行军司马,还让李辅国迁出皇宫到外面的宅第居住。于是人们都互相庆贺。李辅国这才害怕起来,上表请求退位。辛酉(十三日),代宗罢免了李辅国兼任的中书令职务,进爵位为博陆王。李辅国入宫致谢,愤恨哽咽地对代宗说道:“老奴侍候不了郎君了,请让老奴到九泉之下去侍候先帝吧!”代宗仍然安慰劝说一番,然后让他回去。

  [36]壬戌,以兵部侍郎严武为西川节度使。

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