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资治通鉴 221-230 .司马光.

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  [1]春,正月,丁巳,密诏郭子仪讨周智光,子仪命大将浑、李怀光军于渭上;智光麾下闻之,皆有离心。己未,智光大将李汉惠自同州帅所部降于子仪。壬戌,贬智光澧州刺史。甲子,华州牙将姚怀、李延俊杀智光,以其首来献。

  [1]春季,正月丁巳(初六),代宗秘密下诏让郭子仪讨伐周智光,郭子仪命令大将浑、李怀光在渭水河畔驻扎军队。周智光的部下听说后,都有心脱离周智光。己未(初八),周智光的大将李汉惠从同州率领部下向郭子仪投降。壬戌(十一日),代宗将周智光贬为沣州刺史。甲子(十三日),华州牙将姚怀、李延俊杀掉周智光,并将周智光的头颅献给朝廷。

  淮西节度使李忠臣入朝,以收华州为名,帅所部兵大掠,自潼关至赤水二百里间,财畜殆尽,官吏有衣纸或数日不食者。己巳,置潼关镇兵二千人。

  淮西节度使李忠臣入朝,他以收复华州为名,率领他的部队大肆掠夺,从潼关到赤水二百里间,财物牲畜被掠殆尽,当地官员们有的以纸当衣,有的数天没有饭吃。己巳(十八日),朝廷在潼关设置镇守部队二千人。

  [2]壬申,分剑南置东川观察使,镇遂州。

  [2]壬申(二十一日),朝廷从剑南节度使中分置东川观察使,镇守遂州。

  [3]二月,丙戌,郭子仪入朝。上命元载、王缙、鱼朝恩等互置酒于其第,一会之费至十万缗。上礼重子仪,常谓之大臣而不名。

  [3]二月丙戌(初六),郭子仪入朝。代宗命令元载、王缙、鱼朝恩等人分别在他们的宅第设置酒席款待郭子仪,一次宴席花费高达十万缗。代宗对待郭子仪礼遇厚重,常常称他为大臣而不直呼其名。

  郭暧尝与升平公主争言,暧曰:“汝倚乃父为天子邪!我父薄天子不为!”公主恚,奔车奏之。上曰:“此非汝所知。彼诚如是,使彼欲为天子,天下岂汝家所有邪!”慰谕令归。子仪闻之,囚暧,入待罪。上曰:“鄙谚有之:‘不痴不聋,不作家翁。’儿女子闺房之言,何足听也!”子仪归,杖暧数十。

  郭暧曾经与升平公主发生口角,郭暧说:“你倚仗你父亲是天子吗?我父亲是不屑于做天子!”公主怨恨,乘车飞奔入宫奏报此事。代宗说:“此事并非你所能知。他们真是这样,假使他们想要做天子,天下怎么会是你家的呢!”代宗安慰劝说一番,让公主回去。郭子仪听说此事后,将郭暧囚禁起来,自己入朝等待代宗的惩处。代宗对郭子仪说:“有一句俗话说:‘不痴不聋,当不了家长。’儿女闺房中的话,哪值得去听呢!”郭子仪回家,打了郭暧数十大棍。

  [4]夏,四月,庚子,命宰相、鱼朝恩与吐蕃盟于兴唐寺。

  [4]夏季,四月庚子(二十一日),代宗命令宰相及鱼朝恩在兴唐寺与吐蕃举行结盟仪式。

  [5]杜鸿渐请入朝奏事,以崔旰知西川留后。六月,甲戌,鸿渐来自成都,广为贡献,因盛陈利害,荐旰才堪寄任;上亦务姑息,乃留鸿渐复知政事。秋,七月,丙寅,以旰为西川节度使,杜济为东川节度使。旰厚敛以赂权贵,元载擢旰弟宽至御史中丞,宽兄审至给事中。

  [5]杜鸿渐请求入朝奏事,让崔旰担任西川留后。六月甲戌(疑误),杜鸿渐从成都入朝,贡献了许多财物,并且竭力陈述利害关系,推荐崔旰有才干,可以寄予重任。代宗也一味姑息,于是将杜鸿渐留在朝中,再次担任宰相职位。秋季,七月丙寅(十九日),代宗任命崔旰为西川节度使,杜济为东川节度使。崔旰增加赋税的征收,以比贿赂权贵,因而元载将崔旰的弟弟崔宽提升为御史中丞,崔宽的哥哥崔审提升为给事中。

  [6]丁卯,鱼朝恩奏以先所赐庄为章敬寺,以资章敬太后冥福,于是穷壮极丽,尽都市之财不足用,奏毁曲江及华清宫馆以给之,费逾万亿。卫州进士高郢上书,略曰:“先太后圣德,不必以一寺增辉;国家永图,无宁以百姓为本。舍人就寺,何福之为!”又曰:“无寺犹可,无人其可乎!”又曰:“陛下当卑宫室,以夏禹为法,而崇塔庙踵梁武之风乎!”又上书,略曰:“古之明王积善以致福,不费财以求福;修德以消祸,不劳人禳祸。今兴造急促,昼夜不息,力不逮者随以榜笞,愁痛之声盈于道路,以此望福,臣恐不然。”又曰:“陛下回正道于内心,求微助于外物,徇左右之过计,伤皇王之大猷,臣窃为陛下惜之!”皆寝不报。

  [6]丁卯(二十日),鱼朝恩奏请将先前所赐给他的庄园改为章敬寺,为章敬太后祈求冥福。于是,鱼朝恩将章敬寺修得极其宏伟壮丽,耗尽都市的木材还不够用。又奏请拆毁曲江和华清宫的馆舍来供给修寺,费用超一万亿。卫州人进士高郢上书,大略说:“已故太后德行崇高,不必以一座寺院来增添光彩。国家要长治久安,不如以百姓的利益作为治国之本。抛弃百姓的利益去修建寺院,怎么能够祈福呢!”他又说:“没有寺院尚可,但是能够没有百姓吗!”他又说:“陛下应当效法夏禹,不看重宫室,不应该步梁武帝的后尘而崇尚塔庙。”他又上书,大略说:“古代贤明的君主做好事以致福,不劳费资财以求福,修饬德行以消除灾祸,不劳费百姓以求得免灾。如今匆忙昼夜建造寺院,对体力不支的人随意用棍杖殴打,道路上充满了愁叹哀痛的声音。这样祈福,我害怕会适得其反。”他又说:“陛下在内心回避正确的道理,而求助于佛寺这种外物,听从身边的人的错误主意,损害了帝王的宏大谋划。我暗自替陛下感到痛惜!”代宗对他的上书不作任何答复。
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