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资治通鉴 221-230 .司马光.

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  [25]秋,七月,戊辰朔,日有食之。

  [25]秋季,七月戊辰朔(初一),出现日食。

  [26]礼仪使、吏部尚书颜真卿上言:“上元中,政在宫,始增祖宗之谥;玄宗末,奸臣窃命,累圣之谥,有加至十一字者。按周之文、武,称文不称武,言武不称文,岂盛德所不优乎?盖群臣称其至者故也。故谥多不为褒,少不为贬。今累圣谥号太广,有逾古制,请自中宗以上皆从初谥,睿宗曰圣真皇帝,玄宗曰孝明皇帝,肃宗曰宣皇帝,以省文尚质,正名敦本。”上命百官集议,儒学之士,皆从真卿议;独兵部侍郎袁,官以兵进,奏言:“陵庙玉册、木主皆已刊勒,不可轻改,”事遂寝。不知陵中玉册所刻,乃初谥也。

  [26]礼仪使、吏部尚书颜真卿进言说:“上元年间,武后专政,才增加祖宗谥号的字数,玄宗末期,奸臣当权,历朝皇帝的谥号有增加到十一字的。按周朝的文王和武王,称文就不称武,称武也就不称文,难道他们的大德就不崇高了吗?大概由于大臣们认为文、武是最高的称呼的缘故。所以谥号字多并不是赞扬,字少也不是贬低。如今历朝皇帝谥号太长,违背了古代的制度,请求从中宗以上各皇帝都按最初的谥号,睿宗称圣真皇帝,玄宗称孝明皇帝,肃宗称宣皇帝,以节省文字,崇尚质朴,辨正名分,注重根本。”德宗下令百官集思广议,儒学之士都赞同颜真卿的建议。唯独兵部侍郎袁,因掌握军队而进官,上奏说:“陵庙中的玉册、牌位都已经刊刻,不可轻易改动。”于是此事便告终止。殊不知皇陵中玉册所刻的就是最初的谥号。

  [27]初,代宗之世,事多留滞,四夷使者及四方奏计,或连岁不遣,乃于右银台门置客省以处之;及上书言事、失职未叙,亦置其中,动经十岁。常有数百人,并部曲、畜产动以千计,度支廪给,其费甚广。上悉命疏理,拘者出之,事竟者遣之,当叙者任之,岁省谷万九千二百斛。

  [27]从前在代宗时期,许多事情都被搁置起来,四夷使者以及各地奏报计划的人,有的一连几年都不遣返,就在右银台门设置客省安置他们;还有上书论事和失职未再任者也安置在那里,动辄十年。常常有几百人,以及数以千计的随从、牲畜,由度支供给食粮,这笔费用很大。德宗下令全面整治,放出被拘禁的人,遣返办完事的人,任命应当再任官的人,这样一年就节省粮食一万九千二百斛。

  [28]壬申,毁元载、马、刘忠翼之第。初,天宝中,贵戚第舍虽极奢丽,而垣屋高下,犹存制度,然李靖家庙已为杨氏马厩矣。及安、史乱后,法度堕弛,大臣将帅竞治第舍,各穷其力而后止,时人谓之木妖。上素疾之,故毁其尤者,仍命马氏献其园,隶宫司,谓之奉成园。

  [28]壬申(初五),拆毁元载、马、刘忠翼的宅第。从前,在天宝中期,皇亲贵戚的宅第虽然极其奢侈华丽,但房屋的高低还遵循制度,然而李靖的家庙已成为杨氏的马厩了。到安史之乱后,法令制度松弛败坏,大臣将帅竞相修造宅第,各自竭尽财力,才停止经营,当时人们都称其为木妖。德宗向来痛恨这种事,所以拆毁其中违反制度最为突出的宅第,接着命令马氏献出他的园林,归属宫廷园苑部门掌管,取名为奉成园。

  [29]癸丑,减常贡宫中服用锦千匹、服玩数千事。

  [29]癸丑(疑误),德宗削减平常供给宫中服用的一千匹丝织品、数千件衣服和玩物。

  [30]庚辰,诏回纥诸胡在京师者,各服其服,无得效华人。先是回纥留京师者常千人,商胡伪服而杂居者又倍之,县官日给饔饩,殖赀产,开第舍,市肆美利皆归之,日纵贪横,吏不敢问。或衣华服,诱取妻妾,故禁之。

  [30]庚辰(十三日),德宗下诏,命令在京师的回纥等各族胡人,各自穿本族的衣服,不许仿效汉人。起先留在京师的回纥人常有一千人,而穿着汉服与汉人杂居的经商胡人又多一倍,县官每天供给生熟食品。他们添置资产,修建宅第,市场上获高利的行业都归他们经营,日益放纵而贪婪横暴,官吏不敢过问。有的人身着汉服,引诱汉人,娶为妻妾,所以德宗下了禁令。

  [31]辛卯,罢天下榷酒收利。

  [31]辛卯(二十四日),德宗取消官府专利卖酒和征收酒税。

  [32]上之在东宫也,国子博士河中张涉为侍读,即位之夕,召涉入禁中,事无大小皆咨之;明日,置于翰林为学士,亲重无比。乙未,以涉为右散骑常侍,仍为学士。

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