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资治通鉴 221-230 .司马光.

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  [26]商州练团练的士兵杀死了他们的刺史谢良辅。

  [27]朱自白华殿入宣政殿,自称大秦皇帝,改元应天。癸丑,以姚令言为侍中、关内元帅,李忠臣为司空兼侍中,源休为中书侍郎、同平章事、判度支,蒋镇为吏部侍郎,樊系为礼部侍郎,彭偃为中书舍人,自余张光晟等各拜官有差。立弟滔为皇太弟。姚令言与源休共掌朝政,凡之谋划、迁除、军旅、资粮,皆禀于休。休劝诛翦宗室在京城者以绝人望,杀郡王、王子、王孙凡七十七人。寻又以蒋镇为门下侍郎,李子平为谏议大夫,并同平章事。镇忧惧,每怀刀欲自杀,又欲亡窜,然性怯,竟不果。源休劝诛朝士之窜匿者以胁其余,镇力救之,赖以全者甚众。樊系为撰册文,既成,仰药而死。大理卿胶水蒋诣行在,为贼所得,绝食称病,潜窜得免。

  [27]朱从白华殿进入宣政殿,自称大秦皇帝,更改年号为应天。癸丑(初九),朱任命姚令言为侍中、关内元帅,李忠臣为司空兼侍中,源休为中书侍郎、同平章事、判度支,蒋镇为吏部侍郎,樊系为礼部侍郎,彭偃为中书舍人,其余张光晟等人也都分别封拜官职,大小不等。又立弟弟朱滔为皇太弟。姚令言与源休共同执掌朝政,凡是朱的谋划、任官、军事和物资粮草等事,都要向源休禀报。源休劝说朱消灭留在京城的宗室,以便根绝人们的期望,杀郡王、王子、王孙共七十七人。不久,朱又任命蒋镇为门下侍郎,李子平为谏议大夫,二人并同平章事。蒋镇又愁又怕,每每怀揣刀子,准备自杀,又打算逃亡,然而生性怯懦,终究未能实施。源休劝说朱诛杀逃亡隐匿的朝臣,以便胁迫其余的朝臣,蒋镇尽力营救他们,赖蒋镇得以全身的人甚多。樊系为朱撰写册文,写完以后,便服毒自杀。大理卿胶水人蒋前往行在,被叛军捉住。蒋拒绝进食,佯称染病,暗中逃去,幸免于难。

  [28]哥舒曜食尽,弃襄城奔洛阳;李希烈陷襄城。

  [28]哥舒曜军粮吃光,放弃襄城,逃奔洛阳,李希烈攻陷了襄城。

  [29]右龙武将军李观将卫兵千余人从上于奉天,上委之召募,数日,得五千余人,列之通衢,旗鼓严整,城人为之增气。

  [29]右龙武将军李观带领卫兵一千余人到奉天跟随德宗,德宗委托他招募兵员。数天之后,李观募得五千余人,将他们排列在大道上,军容布列严整,奉天城中的人们因此而勇气大增。

  姚令言之东出也,以兵马使京兆冯河清为泾原留后,判官河中姚况知泾州事。河清、况闻上幸奉天,集将士大哭,激以忠义,发甲兵、器械百余车,通夕输行在。城中方苦无甲兵,得之,士气大振。诏以河清为四镇、北庭行营、泾原节度使,况为行军司马。

  姚令言东出泾原时,让兵马使京兆人冯河清担任泾原留后,让判官河中人姚担任知泾州事。冯河清和姚况听说德宗出走奉天,集合将士,当场大哭,以忠义激发将士,发出铠甲、兵器、器械等一百余车,彻夜运往行在。奉天城中正苦于没有铠甲兵器,得到这些供给,士气大振。德宗颁诏任命冯河清为四镇、北庭行营、泾原节度使,姚况为行军司马。

  [30]上至奉天数日,右仆射、同平章事崔宁始至,上喜甚,抚劳有加。宁退,谓所亲曰:“主上聪明英武,从善如流,但为卢杞所惑,以至于此!”因潸然出涕。杞闻之,与王谋陷之。言于上曰:“臣与宁俱出京城,宁数下马便液,久之不至,有顾望意。”会朱下诏,以左丞柳浑同平章事,宁为中书令。浑,襄阳人也,时亡在山谷。使尉康湛诈为宁遗朱书,献之。杞因谮宁与朱结盟,约为内应,故独后至。乙卯,上遣中使引宁就幕下,云宣密旨,二力士自后缢杀之,中外皆称其冤;上闻之,乃赦其家。

  [30]德宗来到奉天数日,右仆射、同平章事崔宁方始来到,德宗甚为高兴,对他大加抚慰。崔宁退下来后,对亲近的人说:“皇上聪慧明达,英俊威武,从善如流,只是被卢杞所迷惑,以至落到这般地步!”于是扑簌簌地流下了眼泪。卢杞闻知此事,便与王图谋陷害他。王对德宗说:“我与崔宁一块儿从京城出来,崔宁好几次下马便溺,以至好长时,这是存心观望。”适逢朱颁下诏旨,任命左丞柳浑为同平章事,崔宁为中书令。柳浑是襄阳人,当时正逃亡在山谷。王指使县尉康湛伪造崔宁给朱的书信,并将书信献给朝廷。卢杞因此诬陷崔宁与朱结有盟约,约定做朱的内应,所以只有崔宁后到奉天。乙卯(十一日),德宗派遣中使将崔宁领到帐幔下面,说是传达密旨,让两个力士从背后将他缢杀。朝廷内外都说崔宁冤枉,德宗听说以后,便将崔宁全家赦免了。

  [31]朱遣使遗朱滔书,称:“三秦之地,指日克平;大河之北,委卿除殄,当与卿会于洛阳。”滔得书,宣示军府,移牒诸道,以自夸大。

  [31]朱派遣使者给朱滔送信,内称:“三秦一带,在屈指可数的日子里使可平定。大河以北,委托你来消灭敌军,我自当与你在洛阳见面。”朱滔接到书信便向军府宣布,并向诸道发布文书,借以自夸自大。

  [32]上遣中使告难于魏县行营,诸将相与恸哭。李怀光帅众赴长安,马燧、李各引兵归镇,李抱真退屯临。

  [32]德宗派遣中使向魏县行营通告蒙难,各位大将在一块儿放声大哭。李怀光率领部众开赴长安,马燧、李各自领兵回归本镇,李抱真退兵屯扎临。

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