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资治通鉴 231-240 .司马光.

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  [31]堂后主书滑涣长期在中书省任职,与知枢密刘光琦相互交结,凡是宰相计议的事情与刘光琦发生分歧时,刘光琦便让滑涣传达自己的意图,经常能够满足自己的愿望。杜佑、郑等人都低声下气,用友好的态度对待他。郑馀庆与各位宰相计议事情时,滑涣在旁边指点评说诸相意见的曲直短长,郑馀庆怒气冲冲地喝斥了他,没过多久,郑馀庆便被罢免了宰相的职务。各地向滑涣贿赂财物,没有停闲的时日。中书舍人李吉甫进言说滑涣肆意专权,请求除去他。宪宗命令宰相将中书省四面的门户关闭起来,进行突然搜查,取得了滑涣肆行邪恶的全部罪状。九月,辛丑(十一日),宪宗将滑涣贬为雷州司户,不久便赐他自裁,没收他家的财产计有数千万之多。

  [32]壬寅,高崇文又败刘辟之众于鹿头关;严秦败刘辟之众于神泉。河东将阿跌光颜将兵会高崇文于行营,愆期一日,惧诛,欲深入自赎,军于鹿头之西,断其粮道,城中忧惧。于是辟、绵江栅将李文悦、鹿头守将仇良辅皆以城降于崇文;获辟婿苏强,士卒降者万计。崇文遂长驱直指成都,所向崩溃,军不留行;辛亥,克成都。刘辟、卢文若帅数十骑西奔吐蕃,崇文使高霞寓等追之,及于羊灌田;辟赴江不死,擒之。文若先杀妻子,乃系石自沈。崇文入成都,屯于通衢,休息士卒,市肆不惊,珍货山积,秋豪不犯,槛刘辟送京师。斩辟大将邢、馆驿巡官沈衍,余无所问。军府事无巨细,命一遵韦南康故事,从容指,一境皆平。

  [32]壬寅(十二日),高崇文再次在鹿头关打败刘辟的部众,严秦在神泉也打败了刘辟的部众。河东将领阿跌光颜带领兵马与高崇文在行营会合,耽误了一天时间,因害怕高崇文杀他,打算深入前敌,赎回自己的过失,在鹿头关西面驻扎下来,继绝了刘辟的运粮通道,使鹿头关内将士忧愁恐惧。于是,刘辟的绵江栅守将李文悦、鹿头关守将仇良辅都率城向高崇文投降,还捉获了刘辟的女婿苏强,投降的士兵数以万计。于是,高崇文迅速地直逼成都,所到之处,无不崩溃,军队在行进中从未受阻。辛亥(二十一日),高崇文攻克成都。刘辟、卢文若带领数十人骑马向西逃奔吐蕃,高崇文让高霞寓等人追赶,并在羊灌田追上了他们。刘辟跳入长江、没有淹死,终被擒获。卢文若事先将妻子儿女杀死,然后便在身上系了石头沉江自杀。高崇文进入成都后,在四通八达的大道上驻扎下来,让士兵就地休息,市中的店铺没有受到惊动,市场上珍贵的货财堆积如山,也没有遭受丝毫的侵犯。高崇文将刘辟装入槛车,送往京城,斩杀了刘辟的大将邢和馆驿巡官沈衍,对其余的人一概不加追究。对军府的事务,无论大小,高崇文命令一律遵从南康郡王韦皋先前奉行的惯例,他从容不迫地指挥着,西川全境便完全平定了。

  初,韦皋以西山运粮使崔从知邛州事,刘辟反,从以书谏辟;辟发兵攻之,从婴城固守;辟败,乃得免。从,融之曾孙也。

  当初,韦皋委任西山运粮使崔从掌管邛州事务,刘辟反叛朝廷后,崔从写书信劝阻刘辟,刘辟派兵攻打邛州,崔从据城坚守。刘辟失败,崔从终于得以幸免。崔从是崔融的曾孙。

  韦皋参佐房式、韦乾度、独孤密、符载、郗士美、段文昌等素服麻屦,衔土请罪;崇文皆释而礼之,草表荐式等,厚赆而遣之。目段文昌曰:“君必为

  将相,未敢奉荐。”载,庐山人;式,之从子;文昌,志玄之玄孙也。

  韦皋的参佐房式、韦乾度、独孤密、符载、郗士美、段文昌等人身著白色丧服,脚穿麻鞋,按死罪制度口衔土块,请求治罪,高崇文全都释放了他们,以礼相待,还草拟表章举荐房式等人,赠给他们丰厚的财物,送他们前去就任。高崇文看着段文昌说:“你肯定会成为将相,我不敢推荐你。”符载是庐山人。房式是房的侄子。段文昌是段志玄的玄孙。

  辟有二妾,皆殊色,监军请献之,崇文曰:“天子命我讨平凶竖,当以抚百姓为先,遽献妇人以求媚,岂天子之意邪!崇文义不为此。”乃以配将吏之无妻者。

  刘辟有两个偏房,容貌都特别美丽,监军请求将她们献给朝廷,高崇文说:“天子命令我征伐平定刘辟这一凶顽竖子,我应当首先安抚百姓。忙着进献妇女,讨好天子,这哪里会是天子的本意呢!我奉行正义,不干这种事情。”于是,他将刘辟的两个偏房许配给没有妻室的将吏了。

  杜黄裳建议征蜀及指受高崇文方略,皆悬合事宜。崇文素惮刘,黄裳使谓之曰:“若无功,当以刘相代。”故能得其死力。及蜀平,宰相入贺,上目黄裳曰:“卿之功也!”

  杜黄裳建议征讨蜀中并授意高崇文应采取的谋略。这些谋略对后来发生的事情完全适宜。由于高崇文平时畏惧刘,杜黄裳便让人告诉他说:“如果你不能取得成功,便会让刘替代你。”所以杜黄裳能够使高崇文尽到最大的力量。及至平定蜀中后,宰相入朝祝贺,宪宗望着杜黄裳说:“这都是你的功劳啊!”

  [33]辛巳,诏征少室山人李渤为左拾遗;渤辞疾不至,然朝政有得失,渤辄附奏陈论。

  [33]辛巳(疑误),宪宗颁诏征召少室山的隐士李渤担任左拾遗,李渤称病,不肯前来。然而,一旦朝廷大政发生问题,他总是寄上奏章,陈述论说自己的见解。

  [34]冬,十月,甲子,易定节度使张茂昭入朝。

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