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资治通鉴 231-240 .司马光.

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  弟,曰:“兄弟,故都统国贞之子也,国贞死王事,岂可使之不祀乎!”

  宰相以为然。辛巳,从父弟宋州刺史等皆贬官流放。

  宰相商议诛杀李叔伯兄弟姊妹以上的亲属,兵部郎中蒋义说:“李叔伯兄弟姊妹以上的亲属都是淮安靖王李神通的后裔。淮安靖王有辅佐太祖、太宗、创建国家的功勋,陪葬于献陵,配享于高祖祠庙,难道能够因为末代子孙作恶,便受到连累吗!”宰相们又打算诛杀李的兄弟,蒋义说:“李的兄弟,是已故都统李国贞的儿子,李国贞为朝廷献身,难道能够让他失去后人的祭祀吗!”宰相们认为所言有理。辛巳(二十七日),李的叔伯弟弟宋州刺史李等人都被贬官流放。

  十一月,甲申朔,至长安,上御兴安门,面诘之。对曰:“臣初不反,张

  子良等教臣耳。”上曰:“卿为元帅,子良等谋反,何不斩之,然后入朝?”

  无以对。乃并其子师回腰斩之。

  十一月,甲申朔(初一),李被押送到长安,宪宗亲临兴安门,当面责问他。李回答说:“我起先并没有造反,是张子良等人教我这样做的。”宪宗说:“你身为主帅,既然张子良等人策划造反,你为什么不将他们杀了,然后再入京朝见?”李无法回答了,于是将他连同他的儿子李师回一并腰斩处死。

  有司请毁祖考冢庙,中丞卢坦上言:“李父子受诛,罪已塞矣。昔汉诛霍禹,不罪霍光;先朝诛房遗爱,不及房玄龄。《康诰》曰:‘父子兄弟,罪不相及。’况以为不善而罪及五代祖乎!”乃不毁。

  有关部门请求拆除李祖先的坟墓和家庙,御史中丞卢坦进言说:“李父子遭受诛戮,已经足以抵罪。过去汉宣帝诛杀霍禹,并不处罚霍光;本朝前代诛杀房遗爱,并不牵连房玄龄。《康诰》说:‘在父子兄弟之间,无论谁触犯刑罚,都不能互相牵连。’何况因李作恶,而要牵连五代祖先一起治罪呢!”于是作罢。

  有司籍家财输京师。翰林学士裴、李绛上言,以为:“李僭侈,割剥六州之人以富其家,或枉杀其身而取其财。陛下闵百姓无告,故讨而诛之,今辇金帛以输上京,恐远近失望。愿以逆人资财赐浙西百姓,代今年租赋。”上嘉叹久之,即从其言。

  有关部门没收李家财,准备运到京城,翰林学士裴与李绛进言认为:“李过度奢侈,残酷掠夺润、睦、常、苏、湖、杭六州百姓,使自己家富有,甚至滥杀无辜,从中夺取资财。陛下怜悯百姓无处说理,所以征讨并诛杀了他,现在要将没收的金银丝帛装载成车,转运京城,恐怕会使各地的人们感到失望。希望将李的物资钱财颁赐给浙西的百姓,用以代替他们今年应交纳的赋税。”宪宗嘉许赞叹良久,随即听从了他的建议。

  [11]昭义节度使卢从史,内与王士真、刘济潜通,而外献策请图山东,擅引兵东出。上召令还,从史托言就食邢、,不时奉诏;久之,乃还。

  [11]昭义节度使卢从史,在内与王士真、刘济暗中交往,在外却向朝廷进献计策,请求谋取太行山以东的魏博、恒冀等藩镇,擅自率领兵马东进。宪宗传召并命令他返还昭义,他却托称移兵前往邢州与州,就地获取给养,不肯按时奉行诏书的指令,过了好久,才返回昭义。

  他日,上召李绛对于浴堂,语之曰:“事有极异者,朕比不欲言之。朕与郑议敕从史归上党,续徵入朝。乃泄之于从史,使称上党乏粮,就食山东。为人臣负朕乃尔,将何以处之?”对曰:“审如此,灭族有余矣!然、从史必不自言,陛下谁从得之?”上曰:“吉甫密奏。”绛曰:“臣窃闻晋绅之论,称为佳士,恐必不然。或者同列欲专朝政,疾宠忌前,愿陛下更熟察之,勿使人谓陛下信谗也!”上良久曰:“诚然,必不至此。非卿言,朕几误处分。”

  后来,宪宗在浴堂殿传召李绛前来应对谘询,对李绛谈道:“有件极为异常的事情,朕完全不愿意讲到它。朕与郑商议敕令卢从史返回上党,接着便征召他入京朝见。郑却将此事泄露给卢从史,让他声称上党缺乏粮食,需要移兵崤山以东,就地取得粮食给养。作为人臣,辜负朕达到如此程度,将应当怎么处治他呢?”李绛回答说:“假如确实是这样,诛戮整个家族的罪罚还有余。然而,郑与卢从史肯定不会自己说出去,陛下是从谁那里得到消息的呢?”宪宗说:“是李吉甫秘密奏报的。”李绛说:“我私下里听到士大夫的评论,称许郑是一位德才兼优的人,恐怕他不会这样做的。或许是他的同事中有人打算独揽朝廷大政,嫉妨郑得到宠信,居己之先吧,希望陛下再深入验察此事,不要让人说陛下是在听信谗言啊!”宪宗停了许久才说:“的确如此,郑肯定不至于干出这种事情。如果不是你这一席话,朕几乎要做出错误的决定来了。”

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