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资治通鉴 241-250 .司马光.

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  辛卯(十五日),参加建造房舍的士兵王弁和同伙四人在沂水中洗澡,五人密谋作乱,王弁说:“现在,我们服役犯罪不免一死,拼死奋力而建功立业也不过一死,如果死于建功立业,岂不比服役犯罪而死更胜一筹!明天,听说王常侍和监军、副使要举行宴会,而部将都在休假,卫兵也大多休息,如果我们趁此机会出其不意袭杀他们,可以说是万全之策。”四人都认为王弁的主意不错,约定事成后共推王弁为观察留后,代行王遂的职务。

  壬辰,遂方宴饮,日过中,弁等五人突入,于直房前取弓刀,径前射副使张敦实,杀之。遂与监军狼狈起走,弁执遂,数之以盛暑兴役,用刑刻暴,立斩之。传声勿惊监军,弁即自称留后,升厅号令,与监军抗礼,召集将吏参贺,众莫敢不从。监军具以状闻。

  壬辰(十六日),王遂等人正在饮宴,中午刚过,王弁等五人突然冲入,直奔卫兵值班房中夺取弓箭和刀枪,然后,向前对准观察副使张敦实射去,张敦实当即被杀死。王遂和监军仓遑站起逃窜,被王弁擒获,他历数王遂上任以来在盛夏征发劳役,以及对士兵和百姓用刑残暴的罪行,然后,将王遂斩首。王弁传令不得惊吓和冒犯监军,随即自称留后,升堂发布号令,与监军在礼仪上平起平坐。他又召集诸将和下属官吏前来参拜祝贺,众人不敢不从。监军把以上情况写成表状,上报朝廷。

  [11]甲午,韩弘又献绢二十五万匹,三万匹,银器二百七十;左右军中尉各献钱万缗。自淮西用兵以来,度支、盐铁及四方争进奉,谓之“助军”;贼平又进奉,谓之“贺礼”;后又进奉,谓之“助赏”;上加尊号又进奉,亦谓之“贺礼”。

  [11]甲午(十八日),韩弘又向朝廷奉献丝绢二十五万匹,粗丝绸三万匹,银器二百七十件。左、右神策军护军中尉各向朝廷奉献钱一万缗。自从元和九年朝廷对淮西用兵以来,度支使、盐铁使以及各地藩镇争相向朝廷进奉钱物,称为“助军”;平定淮西等地以后又进奉,称为“贺礼”;接着,又进奉,称为“助赏”;宪宗加尊号时又进奉,也称为“贺礼”。

  [12]丁酉,以河阳节度使令狐楚为中书侍郎、同平章事。楚与皇甫同年进士,故引以为相。

  [12]丁酉(二十一日),唐宪宗任命河阳节度使令狐楚为中书侍郎、同平章事。令狐楚与皇甫是同一年考中的进士,所以,皇甫引荐令狐楚担任宰相。

  [13]朝廷闻沂州军乱,甲辰,以棣州刺史曹华为沂、海、兖、密观察使。

  [13]朝廷听说沂州发生军乱,甲辰(二十八日),任命棣州刺史曹华为沂、海、兖、密观察使。

  [14]韩弘累表请留京师,八月,己酉,以弘守司徒,兼中书令。癸丑,以吏部尚书张弘靖同平章事,充宣武节度使。弘靖,宰相子,少有令闻,立朝简默;河东、宣武阙帅,朝廷以其位望素重,使镇之。弘靖承王锷聚敛之余,韩弘严猛之后,两镇喜其廉谨宽大,故上下安之。

  [14]韩弘多次上奏朝廷,请求批准自己留居京城。八月,己酉(初三),唐宪宗任命韩弘代理司徒,兼中书令。癸丑(初七),任命吏部尚书张弘靖带同平章事的官衔,充任宣武节度使。张弘靖是唐德宗时的宰相张延赏的儿子,从小就美名在外,在朝做官清简练达、静默通识。河东、宣武两镇缺任节度使,朝廷认为他向来威望和地位崇重,相继任命他前往镇守。河东前节度使王锷贪财聚敛,宣武前节度使韩弘严刑苛政,张弘靖赴任后,两镇的将吏和百姓喜爱他为官廉洁谨厚、宽容大度,因此,军心和民心由此安定下来。

  [15]已未,田弘正入朝,上待之尢厚。

  [15]已未(十三日),田弘正来京朝拜,唐宪宗以最为隆重的礼节接待他。

  [16]戊辰,陈许节度使郗士美薨,以库部员外郎李渤为吊祭使。渤上言:“臣过渭南,闻长源乡旧四百户,今才百余户,乡县旧三千户,今才千户,其他州县大率相似。迹其所以然,皆由以逃户税摊于比邻,致驱迫俱逃,此皆聚敛之臣剥下媚上,惟思竭泽,不虑无鱼。乞降诏书,绝摊逃之弊;尽逃户之产偿税,不足者乞免之。计不数年,人皆复于农矣。”执政见而恶之,渤遂谢病,归东都。

  [16]戊辰(二十二日),陈许(忠武)节度使郗士美去世,唐宪宗任命库部员外李渤为吊祭使。李渤完成吊丧任务后,回到京城,上奏朝廷说:“我这次出使路过渭南,听说长源乡过去有四百户,现在仅存百余户,乡县过去有三千户,现在仅存一千户,其它州县户口耗减情况与此大体相似。户口耗减这样严重,究其原因,都是由于州县官吏把逃户所欠的税款摊派给他们的邻居,邻居不堪负担,以致被迫和逃户一样逃亡。这都是那些贪官污吏剥夺百姓而向他们的上司献媚,因此只想到竭泽而渔,不考虑以后还有没有鱼可捕捞的缘故。请求皇上颁下诏书,禁绝摊逃的弊政,同时建议把逃户的全部财产用来抵税,如果还不足以抵偿的话,就请求予以免除。这样,用不了几年,逃户就会逐渐回乡重新开始农业生产。”宰相皇甫看到李渤的奏章,憎恨他诋毁朝政,置之不理。于是李渤假托身体有病,辞官回到东都洛阳。

  [17]癸酉,吐蕃寇庆州,营于方渠。
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