[目录]
资治通鉴 241-250 .司马光.

  1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72 | 73 | 74 | 75 | 76 | 77 | 78 | 79 | 80 | 81 | 82 | 83 | 84 | 85 | 86 | 87 | 88 | 89 | 90 | 91 | 92 | 93 | 94 | 95 | 96 | 97 | 98 | 99 | 100 | 101 | 102 | 103 | 104 | 105 | 106 | 107 | 108 | 109 | 110 | 111 | 112 | 113 | 114 | 115 | 116 | 117 | 118 | 119 | 120 | 121 | 122 | 123 | 124 | 125 | 126 | 127 | 128 | 129 | 130 | 131 | 132 | 133 | 134 | 135 | 136 | 137 | 138 | 139 | 140 | 141 | 142 | 143 | 144 | 145 | 146 | 147 | 148 | 149 | 150 | 151 | 152 | 153 | 154 | 155 | 156 | 157 | 158 | 159 | 160 | 161 | 162 | 163 | 164 | 165 | 166 | 167 | 168 | 169 | 170 | 171 | 172 | 173 | 174 | 175 | 176 | 177
上一页 下一页
  [9]九月,丁亥(初四),王智兴奏称攻下横海管辖的棣州。

  [10]李寰自晋州引兵赴镇,不戢士卒,所过残暴,至则拥兵不进,但坐索供馈。庚寅,以寰为夏绥节度使。

  [10]新任横海节度使李寰从晋州率兵前往横海赴任,一路对士卒不加约束,听任士卒掠夺百姓。到达前线后,又拥兵不进,只是向朝廷索取粮饷供给。庚寅(初七),朝廷任命李寰为夏绥节度使。

  [11]甲午,诏削夺王庭凑官爵,命诸军四面时讨。

  [11]甲午(十一日),唐文宗下诏,撤销王庭凑担任的成德节度使的职务及其爵位,命令诸道兵马四面围攻讨伐。

  [12]加王智兴守司徒,以前夏绥节度使傅良弼为横海节度使。

  [12]唐文宗任命王智兴暂守司徒,任命前夏绥节度使傅良弼为横海节度使。

  [13]岳王绲薨。

  [13]岳王李绲去世。

  [14]庚戌,容客奏安南军乱,逐都护韩约。

  [14]庚戌(二十七日),容管奏报安南发生军乱,都护韩约被驱逐。

  [15]冬,十月,洋王忻薨。

  [15]冬季,十月,洋王李忻去世。

  [16]魏博败横海兵于平原,遂拔之。

  [16]魏博军队在平原打败横海军队,接着,乘胜攻占了平原城。

  [17]十一月,癸未朔,易定节度使柳公济奏攻李同捷坚固寨,拔之;又破其兵于寨东。时河南、北诸军讨同捷久未成功,每有小胜,则虚张首虏以邀厚赏,朝廷竭力奉之,江、淮为之耗弊。
上一页 下一页
  1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72 | 73 | 74 | 75 | 76 | 77 | 78 | 79 | 80 | 81 | 82 | 83 | 84 | 85 | 86 | 87 | 88 | 89 | 90 | 91 | 92 | 93 | 94 | 95 | 96 | 97 | 98 | 99 | 100 | 101 | 102 | 103 | 104 | 105 | 106 | 107 | 108 | 109 | 110 | 111 | 112 | 113 | 114 | 115 | 116 | 117 | 118 | 119 | 120 | 121 | 122 | 123 | 124 | 125 | 126 | 127 | 128 | 129 | 130 | 131 | 132 | 133 | 134 | 135 | 136 | 137 | 138 | 139 | 140 | 141 | 142 | 143 | 144 | 145 | 146 | 147 | 148 | 149 | 150 | 151 | 152 | 153 | 154 | 155 | 156 | 157 | 158 | 159 | 160 | 161 | 162 | 163 | 164 | 165 | 166 | 167 | 168 | 169 | 170 | 171 | 172 | 173 | 174 | 175 | 176 | 177
[目录]