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资治通鉴 241-250 .司马光.

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  [14]初,韦皋在西川,开青溪道以通群蛮,使由蜀入贡。又选群蛮子弟聚之成都,教以书数,欲以慰悦羁縻之,业成则去,复以他子弟继之。如是五十年,群蛮子弟学于成都者殆以千数,军府颇厌于禀给。又,蛮使入贡,利于赐与,所从人浸多,杜为西川节度使,奏请节减其数,诏从之。南诏丰怒,其贺冬使者留表付州而还。又索习学子弟,移牒不逊,自是入贡不时,颇扰边境。

  [14]起初,韦皋在西川主持军政时,开辟青溪道以通南诏诸蛮族人,让他们通过新开道路由蜀地向朝廷入贡。韦皋又选南诏诸蛮族人的子弟聚居于成都,教他们读书计数,企图以慰抚和欢悦来约束他们,群蛮子弟学成后即回去,其他子弟继续再来成都留学,这样前后五十年过去了,南诏群蛮子弟留学于成都的几乎有上千人,西川军府对供应留学生资粮已厌烦。另外,南诏蛮人的使者向朝廷入贡时,贪图朝廷丰厚的赏赐,所带的随员私仆日渐增多,杜为西川节度使,向唐宣宗奏请减少南诏使者所带仆从的数目,唐宣宗下诏同意了杜的奏请。南诏国王丰对此极感愤怒,他派往长安向唐朝皇帝贺冬的使者将贺表留下交付给州就回到南诏去了。丰又向杜索回留学成都的子弟,送交给杜的牒文也出言不逊,从此以后不按时向唐朝入贡,还时常侵扰唐朝边境。

  会宣宗崩,遣中使告哀,时南诏丰适卒,子酋龙立,怒曰:“我国亦有丧,朝廷不吊祭。又诏书乃赐故王。”遂置使者于外馆,礼遇甚薄。使者还,具以状闻。上以酋龙不遣使来告丧,又名近玄宗讳,遂不行册礼。酋龙乃自称皇帝,国号大礼,改元建极,遣兵陷播州。

  正值唐宣宗崩驾,唐懿宗派遣宦官充当使者往南诏王国告哀,当时南诏国王丰恰巧也去世,丰的儿子酋龙继位,愤怒地说:“我国也有国丧,唐朝廷为什么不派使来吊祭。另外,唐皇帝颁下的诏书还仍然赐给已故的国王,真不象话。”于是将唐朝使者安置于外面的旅馆,对他的礼遇很薄。使者回到朝廷,将情况全部向唐懿宗汇报。唐懿宗以酋龙不派遣使者入朝告丧,而且酋龙的名字与唐玄宗李隆基的讳字近音,于是也不给酋龙行册封为南诏国王的册礼。酋龙也就自称皇帝,国号为大礼,改年号为建极,并派遣军队攻陷唐朝的播州。



资治通鉴第二百五十卷

唐纪六十六懿宗昭圣惠孝皇帝上咸通元年(庚辰、860)

  唐纪六十六唐懿宗咸通元年(庚辰,公元860年)

  [1]春,正月,乙卯,浙东军与裘甫战于桐柏观前,范居植死,刘仅以身免。乙丑,甫帅其徒千余人陷剡县,开府库,募壮士,众至数千人;越州大恐。

  [1]春季,正月,乙卯(初四),唐浙东官军与裘甫军在桐柏观前交战,唐讨击副将范居植战死,讨击副使刘只身逃出,仅得免死。乙丑(十四日),裘甫率领部下徒众一千余人攻陷剡县,打开县府仓库,召募壮丁,部众发展到好几千人,使越州上下一片慌恐。

  时二浙久安,人不习战,甲兵朽钝,见卒不满三百;郑德更募新卒以益之,军吏受赂,率皆得孱弱者。德遣子将沈君纵、副将张公署、望海镇将李将新卒五百击裘甫。二月,辛卯,与甫战于剡西,贼设伏于三溪之南,而陈于三溪之北,壅溪上流,使可涉。既战,阳败走,官军追之,半涉,决壅,水大至,官军大败,三将皆死,官军几尽。

  当时两浙地区由于长期平安无事,人民不习战阵,武器甲杖也都腐朽锈钝,现役士卒不满三百人;浙东观察使郑德增募新兵来补充军队,但军吏接受贿赂,所召新兵几乎全是软弱无能者。郑德派遣部将沈君纵、副将张公署、望海镇将李率领新兵五百人去袭击裘甫。二月,辛卯(初十),官军与裘甫军战天剡县以西,裘甫军在三溪之南设下埋伏,而在三溪之北虚摆阵势,堵溪水上流,使人可在溪水下游涉渡。既开始交战,裘甫军假装败走,官军随后追击,至溪水下游,当官军一半人涉过溪水时,贼军将上流堵水闸决开,大水袭来,官军大败,三位领兵将领都战死,部下官军几乎全部丧命。

  于是山海诸盗及他道无赖亡命之徒,四面云集,众至三万,分为三十二队。其小帅有谋略者推刘,勇力推刘庆、刘从简。群盗皆通书币,求属麾下。甫自称天下都知兵马使,改元曰罗平,铸印曰天平。大聚资粮,购良工,治器械,声震中原。

  由于裘甫打败浙东官军,山林海岛中的盗贼以及其他地方的无赖亡命之徒,四面云集于裘甫的旗帜之下,部从发展到三万余人,分为三十二个队。各队小帅中较有谋略者首推刘,有武勇力气者推刘庆、刘从简。群盗都由远外地方向裘甫通信送款,要求归属于裘甫麾下。裘甫自称天下都知兵马使,改元

  称罗平,铸造的大印上刻着天平。于是大量聚积资财粮草,雇请优良的工匠,制造军用器械,其浩大的声势震动了中原。

  [2]丙申,葬圣武献文孝皇帝于贞陵,庙号宣宗。
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