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资治通鉴 271-280 .司马光.

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  刘皇后和申王李存渥逃到晋阳,在路上和李存渥通奸。李存渥到了晋阳,李彦超不接纳,他又跑到谷,被部下杀死。第二天,永王李存霸也到达晋阳,跟随他的士卒全都逃跑了。李存霸剃掉头发,穿上僧服去拜见李彦超,说:“愿意成为山上的僧人,希望能得到庇护。”军士们争着想杀掉他,李彦超说:“六相公李存霸既然来了,应当奏请,然后决定去留。”军士们没有听从他的话,在府门的石碑下把他杀死。刘皇后在晋阳当了尼姑,监国派人到晋阳杀了她。薛王李存礼以及庄宗幼小的儿子李继嵩、李继潼、李继蟾、李继在国家遭受兵乱后都不知所终。只有邕王李存美中风得病,半身不遂,才免于一死,住在晋阳。

  [6]徐温、高季兴闻庄宗遇弑,益重严可求、梁震。

  [6]徐温、高季兴听说庄宗被杀,更加器重严可求、梁震。

  梁震荐前陵州判官贵平孙光宪于季兴,使掌书记。季兴大治战舰,欲攻楚,光宪谏曰:“荆南乱离之后,赖公休息士民,始有生意,若又与楚国交恶,他国乘吾之弊,良可忧也。”季兴乃止。

  梁震把原来的陵州判官贵平人孙光宪推荐给高季兴,掌管书牍记录。高季兴大治战船,准备攻打楚国。孙光宪劝说:“荆南政治混乱之后,靠你使士民休养生息,现在刚有点生机,如果又和楚国成为仇敌,其他国家乘机钻我们空子,是非常令人担心的。”高季兴于是停止与楚国交战的准备。

  [7]戊戍,李绍荣至洛阳,监国责之曰:“吾何负于尔,而杀吾儿?”绍荣目直视曰:“先帝何负于尔?”遂斩之,复其姓名曰元行钦。

  [7]戊戌(十二日),李绍荣到达洛阳,监国李嗣源责备他说:“我什么地方对不起你,你杀死我的儿子?”李绍荣睁大眼睛瞪着监国说:“先帝什么地方对不起你?”于是杀死了李绍荣,并恢复了他原来的姓名元行钦。

  [8]监国恐征蜀军还为变,以石敬瑭为陕州留后;己亥,以李从珂为河中留后。

  [8]监国怕征讨前蜀国的军队回来发生变故,任命石敬瑭为陕州留后。己亥(十三日),任命李从珂为河中留后。

  [9]枢密使张居翰乞归田里,行之。李绍真屡荐孔循之才,庚子,以循为枢密副使。李绍宏请复姓马。

  [9]枢密使张居翰请求回家乡,监国答应了他的请求。李绍真曾多次推荐孔循的才能,庚子(十四日),任命孔循为枢密副使。李绍宏请求恢复他姓马。

  监国下教,数租庸使孔奸佞侵刻穷困军民之罪而斩之,凡谦所立苛敛之法皆罢之,因废租庸民及内勾司,依旧为盐铁、户部、度支三司,委宰相一人专判。又罢诸道监军使;以庄宗由宦官亡国,命诸道尽杀之。

  监国下发教令,谴责租庸使孔谦奸巧谄谀、侵占剥夺,使军民贫困的罪行,并将他处死。凡是孔谦制定的苛敛之法,全部废除,同时撤消了租庸使和内勾司,依照旧例设盐铁、户部、度支三司,委托宰相一人专门管理。又取消了各道的监军使。因为庄宗是任用宦官才导致亡国的,所以命令各道把宦官全部杀掉。

  [10]魏王继岌自兴平退至武功,宦者李从袭曰:“祸福未可知,退不如进,请王亟东行以救内难。”继岌从之。还,至渭水,权西都留守张己断浮梁;循水浮渡,是日至渭南,腹拟吕知柔等皆己窜匿。从袭谓继岌曰:“时事己去,王宜自图。”继岌徘徊流涕,乃自伏于床,命仆夫李环缢杀之。任圜代将其众而去。监国命石敬瑭慰抚之,军士皆无异言。

  [10]魏王李继岌从兴平退到武功,宦官李从袭说:“是祸是福不可预测,但后退不如前进,请王赶快东进来解救内难。”李继岌听从了他的意见。于是前进到达渭水,代理西都留守的张己经把浮桥拆毁。他们顺流渡过渭水,当日到达渭南,李继岌的心腹之人吕知柔等都己逃跑躲藏起来。李从袭对李继岌说:“大势己去,王应自图。”李继岌边哭 边来回走动,后来就趴伏在床上,命令仆夫李环用绳子把他勒死。任圜代替他率领部队向东前进。监国命令石敬瑭去安抚他们,士卒们没有不同意见都归顺了李嗣源。

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