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资治通鉴 281-290 .司马光.

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  [46]庚辰(二十九日),后汉高祖从大梁出发。

  [47]晋昌节度使赵匡赞恐终不为朝廷所容,冬,十月,遣使降蜀,请自终南山路出兵应援。

  [47]晋昌节度使赵匡赞顾虑最终不能被后汉朝廷所容,在冬季,十月,派使臣归降后蜀,请求从终南山路出援兵接应。

  [48]戊戌,帝至邺都城下,舍于高行周营。行周言于帝曰:“城中食未尽,急攻,徒杀士卒,未易克也。不若缓之,彼食尽自溃。”帝然之。幕容彦超数因事陵轹行周,行周泣诉于执政,掬粪壤实其口,苏逢吉、杨密以白帝。帝深知彦超之曲,犹命二臣和解之;又召彦超于帐中责之,且使诣行周谢。

  [48]戊戌(十七日),后汉高祖来到邺都城下,住在高行周军营中。高行周对高祖说:“城中粮食未尽,现在猛攻,白白损失士卒,不容易攻克城池;不如慢慢围困它,城中粮尽自然溃败。”高祖认为是这样。慕容彦超屡次借事端凌辱高行周,高行周向执政大臣哭诉,用双手捧粪土塞嘴,苏逢吉、杨将情况密报高祖。高祖深知慕容彦超理屈,仍命两位大臣和解;又把慕容彦超召到营帐里责备,并让他去向高行周谢罪。

  杜重威声言车驾至即降,帝遣给事中陈观往谕指,重威复闭门拒之。城中食浸竭,将士多出降者。慕容彦超固请攻城,帝从之。丙午,亲督诸将攻城,自寅至辰,士卒伤者万余人,死者千余人,不克而止。彦超乃不敢复言。

  杜重威曾声称高祖的车驾到达就投降,高祖派给事中陈观前去宣布旨意,杜重威却又关城门拒绝。城中粮食逐渐吃光。将士多有出城投降的。慕容彦超坚持请求攻城,高祖同意。丙午(二十五日),高祖亲自督励众将攻城,从寅时攻到辰时,士卒伤了一万多人,死了一千多人,未能攻下而收兵。慕容彦超于是不敢再说攻城。

  初,契丹留幽州兵千五百戍大梁。帝入大梁,或告幽州兵将为变,帝尽杀之于繁台之下。及围邺都,张琏将幽州兵二千助重威拒守,帝屡遣人招谕,许以不死;琏曰:“繁台之卒,何罪而戮?今守此,以死为期耳。”由是城久不下。十一月,丙辰,内殿直韩训献攻城之具,帝曰:“城之所恃者,众心耳。众心苟离,城无所保,用此何为!”

  当初,契丹留下一千五百名幽州兵守卫大梁。高祖进入大梁,有人密报幽州兵将发动兵变,高祖把所有幽州兵都杀死在繁台下面。待现在围困邺都,张琏率二千名幽州兵帮助杜重威拒守,高祖于是屡次派人劝谕招降,许诺不杀死;张琏说:“繁台下面的幽州兵卒,有什么罪而遭杀戮?现在坚守此城,只求一死罢了。”因此城池久攻不下。十一月丙辰(初六),内殿直韩训进献攻城的器械,高祖说:“守城所倚仗的,是众人的心;如果众人离心离德,城池就无人保卫,用这些器械干什么!”

  杜重威之叛,观察判官金乡王敏屡泣谏,不听。及食竭力尽,甲戌,遣敏奉表出降。乙亥,重威子弘琏来见;丙子,妻石氏来见,石氏,即晋之宋国长公主也,帝复遣入城。丁丑,重威开门出降,城中馁死者什七八,存者皆瘠无人状。张琏先邀朝廷信誓,诏许以归乡里,及出降,杀琏等将校数十人;纵其士卒北归,将出境,大掠而去。

  杜重威背叛后汉,观察判官金乡人王敏屡次哭泣劝谏,杜重威不听。到现在粮食吃光、气力用尽,甲戌(二十四日),派王敏出城奉上降表。乙亥(二十五日),杜重威的儿子杜弘琏前来朝见;丙子(二十六日),杜重威的妻子石氏来朝见,石氏就是后晋的宋国长公主。高祖再次把他们送回城中。丁丑(二十七日),杜重威大开城门,出城投降。这时,城中十有七、八的人都饿死了,活着的也都骨瘦如柴没有人样。张琏先要求朝廷讲信用发誓,高祖下诏令允许返归家乡;等出降以后,杀张琏等将领军校几十人;释放其他士兵北归家乡。那些幽州兵将出魏州地界时,大肆抢掠而去。

  郭威请杀重威牙将百余人,并重威家赀籍之以赏战士,从之。以重威为太傅兼中书令、楚国公。重威每出入,路人往往掷瓦砾诟之。

  郭威请求杀死杜重威的一百多名牙将,并抄没杜重威家中的资财赏给战士们,高祖同意了。高祖任命杜重威为太傅兼中书令、楚国公。杜重威每次出入,路上的人常常向他扔碎砖烂瓦诟骂他。

  臣光曰:汉高祖杀幽州无辜千五百人,非仁也;诱张琏而诛之,非信也;杜重威罪大而赦之,非刑也。仁以合众,信以行令,刑以惩奸;失此三者,何以守国!其祚运之不延也,宜哉!

  臣司马光曰:后汉高祖杀害无辜的幽州士卒一千五百人,是不仁;引诱张琏投降而又杀死他,是不信;杜重威罪恶大却赦免了他,是不刑。仁用以团结大众,信用以执行命令,刑用以惩罚奸佞,失掉这三者,凭什么守卫国家!他的皇位不能延续,也是应该的!

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