[目录]
春秋左传 ..

  1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72 | 73 | 74 | 75 | 76 | 77 | 78 | 79 | 80 | 81 | 82 | 83 | 84 | 85 | 86 | 87 | 88 | 89 | 90 | 91 | 92 | 93 | 94 | 95 | 96 | 97 | 98 | 99 | 100 | 101 | 102 | 103 | 104 | 105 | 106 | 107 | 108 | 109 | 110 | 111 | 112 | 113 | 114 | 115 | 116 | 117 | 118 | 119 | 120 | 121 | 122 | 123 | 124 | 125 | 126 | 127 | 128 | 129 | 130 | 131 | 132 | 133 | 134 | 135 | 136 | 137 | 138 | 139 | 140 | 141 | 142 | 143 | 144 | 145 | 146 | 147 | 148 | 149 | 150 | 151 | 152 | 153 | 154 | 155 | 156 | 157 | 158 | 159 | 160 | 161 | 162 | 163 | 164 | 165 | 166 | 167 | 168 | 169 | 170 | 171 | 172 | 173 | 174 | 175 | 176 | 177 | 178 | 179 | 180
上一页 下一页
  大子将战,狐突谏曰:「不可,昔辛伯谂周桓公云:『内宠并后,外宠二政,嬖子配适,大都耦国,乱之本也。』周公弗从,故及于难。今乱本成矣,立可必乎?孝而安民,子其图之,与其危身以速罪也。」

  成风闻成季之繇,乃事之,而属僖公焉,故成季立之。

  僖之元年,齐桓公迁邢于夷仪。二年,封卫于楚丘。邢迁如归,卫国忘亡。

  卫文公大布之衣,大帛之冠,务材训农,通商惠工,敬教劝学,授方任能。元年革车三十乘,季年乃三百乘。



僖公(元年~三十三年)


  ◇僖公元年

  【经】元年春王正月。齐师、宋师、曹伯次于聂北,救邢。夏六月,邢迁于夷仪。齐师、宋师、曹师城邢。秋七月戊辰,夫人姜氏薨于夷,齐人以归。楚人伐郑。八月,公会齐侯、宋公、郑伯、曹伯、邾人于柽。九月,公败邾师于偃。冬十月壬午,公子友帅师败莒于郦。获莒拏。十有二月丁巳,夫人氏之丧至自齐。

  【传】元年春,不称即位,公出故也。公出复入,不书,讳之也。讳国恶,礼也。

  诸侯救邢。邢人溃,出奔师。师遂逐狄人,具邢器用而迁之,师无私焉。

  夏,邢迁夷仪,诸侯城之,救患也。凡侯伯救患分灾讨罪,礼也。

  秋,楚人伐郑,郑即齐故也。盟于荦,谋救郑也。

  九月,公败邾师于偃,虚丘之戍将归者也。

  冬,莒人来求赂。公子友败诸郦,获莒子之弟拏。非卿也,嘉获之也。公赐季友汶阳之田及费。

  夫人氏之丧至自齐。君子以齐人杀哀姜也为已甚矣,女子,从人者也。

上一页 下一页
  1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72 | 73 | 74 | 75 | 76 | 77 | 78 | 79 | 80 | 81 | 82 | 83 | 84 | 85 | 86 | 87 | 88 | 89 | 90 | 91 | 92 | 93 | 94 | 95 | 96 | 97 | 98 | 99 | 100 | 101 | 102 | 103 | 104 | 105 | 106 | 107 | 108 | 109 | 110 | 111 | 112 | 113 | 114 | 115 | 116 | 117 | 118 | 119 | 120 | 121 | 122 | 123 | 124 | 125 | 126 | 127 | 128 | 129 | 130 | 131 | 132 | 133 | 134 | 135 | 136 | 137 | 138 | 139 | 140 | 141 | 142 | 143 | 144 | 145 | 146 | 147 | 148 | 149 | 150 | 151 | 152 | 153 | 154 | 155 | 156 | 157 | 158 | 159 | 160 | 161 | 162 | 163 | 164 | 165 | 166 | 167 | 168 | 169 | 170 | 171 | 172 | 173 | 174 | 175 | 176 | 177 | 178 | 179 | 180
[目录]