[目录]
三国志 - 魏书 .陈寿.

  1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72 | 73 | 74 | 75 | 76 | 77 | 78 | 79 | 80 | 81 | 82 | 83 | 84 | 85 | 86 | 87 | 88 | 89 | 90 | 91 | 92 | 93 | 94 | 95 | 96 | 97 | 98 | 99 | 100 | 101 | 102 | 103 | 104 | 105 | 106 | 107 | 108 | 109 | 110 | 111 | 112 | 113 | 114 | 115 | 116 | 117 | 118 | 119 | 120 | 121 | 122 | 123 | 124 | 125 | 126 | 127 | 128 | 129 | 130 | 131 | 132 | 133 | 134 | 135 | 136 | 137 | 138 | 139 | 140 | 141 | 142 | 143 | 144 | 145 | 146 | 147 | 148 | 149 | 150 | 151 | 152 | 153 | 154 | 155 | 156 | 157 | 158 | 159 | 160 | 161 | 162 | 163 | 164 | 165 | 166 | 167 | 168 | 169 | 170 | 171 | 172 | 173 | 174 | 175 | 176 | 177 | 178 | 179 | 180 | 181 | 182 | 183 | 184 | 185 | 186 | 187 | 188 | 189 | 190 | 191 | 192 | 193 | 194 | 195 | 196 | 197 | 198 | 199 | 200 | 201 | 202 | 203 | 204 | 205 | 206 | 207 | 208 | 209 | 210 | 211 | 212 | 213 | 214 | 215 | 216 | 217 | 218 | 219 | 220 | 221 | 222 | 223 | 224 | 225 | 226 | 227 | 228 | 229 | 230 | 231 | 232 | 233 | 234 | 235 | 236 | 237 | 238 | 239 | 240 | 241 | 242 | 243 | 244 | 245 | 246 | 247 | 248 | 249 | 250 | 251 | 252 | 253 | 254 | 255 | 256 | 257 | 258 | 259 | 260 | 261 | 262 | 263 | 264 | 265 | 266 | 267 | 268 | 269 | 270 | 271 | 272 | 273 | 274 | 275 | 276 | 277 | 278 | 279 | 280 | 281 | 282 | 283 | 284 | 285 | 286 | 287 | 288 | 289 | 290 | 291 | 292 | 293 | 294 | 295 | 296 | 297 | 298 | 299 | 300 | 301 | 302 | 303 | 304 | 305 | 306 | 307 | 308 | 309 | 310 | 311 | 312 | 313 | 314 | 315 | 316 | 317 | 318 | 319 | 320 | 321 | 322 | 323 | 324 | 325 | 326 | 327 | 328 | 329 | 330 | 331 | 332 | 333 | 334 | 335 | 336 | 337 | 338 | 339 | 340 | 341 | 342 | 343 | 344 | 345 | 346
上一页 下一页
举孝廉,司空辟,皆不就。乃变名姓,隐居避乱鲁阳山中。山民合党,欲行寇掠。
暨散家财以供牛酒,请其渠帅,为陈安危。山民化之,终不为害。避袁术命召,徙居山
都之山。荆州牧刘表礼辟,遂遁逃,南居孱陵界,所在见敬爱,而表深恨之。暨惧,应
命,除宜城长。
太祖平荆州,辟为丞相士曹属。后迁乐陵太守,徙监冶谒者,旧时冶作马排,每一
熟石用马百匹;更作人排,又费功力。暨乃因长流为水排,计其利益,三倍于前。在职
七年,器用充实。制书褒叹,就加司金都尉,班亚九卿。文帝践阼,封宜城亭侯。黄初
七年,迁太常,进封南乡亭侯,邑二百户。时新都洛阳,制度未备,而宗庙主杨皆在邺
都,暨奏请迎邺四庙神主,建立洛阳庙,四时蒸尝,亲奉粢盛。祟明正礼,废去淫祀,
多所匡正。在官八年,以疾逊位。景初二年春,诏曰:“太中大夫韩暨,澡身浴德,志
节高洁,年逾八十。守道弥固,可谓纯笃,老而益劭者也。其以暨为司徒。”夏四月薨,
遗令敛以时服,葬为土藏。谥曰恭侯。子肇嗣。肇薨,于邦嗣。
崔林字德儒,清河东武城人也。少时晚成,宗族莫知,惟从兄琰异之。太祖定冀州,
召除邬长,贫无车马,单步之官。太祖征壶关,问长吏德政最者,并州刺史张陟以林对,
于是擢为冀州主簿,徙署别驾、丞相掾属。魏国既建,稍迁御史中丞。文帝践阼,拜尚
书,出为幽州刺史。北中郎将吴质统河北军事,涿郡太守王雄谓林别驾曰:“吴中郎将,
上所亲重,国之贵臣也。仗节统事,州郡莫不奉笺致敬,而崔使君初不与相闻。若以边
塞不修斩卿,使君宁能护卿邪?”别驾具以白林。林曰:“刺史视去此州如脱屣,宁当
相累邪?此州与胡虏接,宜镇之以静,扰之则动其逆心,特为国家生北顾忧,以此为
寄。”在官一期,寇窃寝息。犹以不事上司,左迁河间太守,清论多为林怨也。
迁大鸿胪。龟兹王遣侍子来朝,朝廷嘉其远至,褒赏其王甚厚。余国各遣子来朝,
间使连属,林恐所遗或非真的。权取疏属贾胡,因通使命,利得印绶。而道路护送,所
损滋多。劳所养之民,资无益之事,为夷狄所笑,此囊时之所患也。乃移书燉煌喻指,
并录前世待遇诸国丰约故事,使有恒常。明帝即位,赐爵关内侯,转光禄勋、司隶校尉。
属郡皆罢非法除过员吏。林为政推诚,简存大体,是以去后每辄见思。
散骑常侍刘劭作《考课论》,制下百僚。林议曰:“案《周官》考课,其文备矣,
自康王以下,遂以陵迟。此即考课之法存乎其人也。及汉之季其失岂在乎佐吏之职不密
哉?方今军旅,或猥或卒,备之以科条。申之以内外,增减无常,固难一矣。且万目不
张举其纲,众毛不整振其领。皋陶仕虞,伊尹臣殷,不仁者远。五帝三王未必如一,而
各以治乱。《易》曰:‘易简,而天下之理得矣。’太祖随宜设辟,以遗来今,不患不
法古也。以为今之制度,不为疏阔,惟在守一勿失而已。若朝臣能任仲山甫之重,式是
上一页 下一页
  1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72 | 73 | 74 | 75 | 76 | 77 | 78 | 79 | 80 | 81 | 82 | 83 | 84 | 85 | 86 | 87 | 88 | 89 | 90 | 91 | 92 | 93 | 94 | 95 | 96 | 97 | 98 | 99 | 100 | 101 | 102 | 103 | 104 | 105 | 106 | 107 | 108 | 109 | 110 | 111 | 112 | 113 | 114 | 115 | 116 | 117 | 118 | 119 | 120 | 121 | 122 | 123 | 124 | 125 | 126 | 127 | 128 | 129 | 130 | 131 | 132 | 133 | 134 | 135 | 136 | 137 | 138 | 139 | 140 | 141 | 142 | 143 | 144 | 145 | 146 | 147 | 148 | 149 | 150 | 151 | 152 | 153 | 154 | 155 | 156 | 157 | 158 | 159 | 160 | 161 | 162 | 163 | 164 | 165 | 166 | 167 | 168 | 169 | 170 | 171 | 172 | 173 | 174 | 175 | 176 | 177 | 178 | 179 | 180 | 181 | 182 | 183 | 184 | 185 | 186 | 187 | 188 | 189 | 190 | 191 | 192 | 193 | 194 | 195 | 196 | 197 | 198 | 199 | 200 | 201 | 202 | 203 | 204 | 205 | 206 | 207 | 208 | 209 | 210 | 211 | 212 | 213 | 214 | 215 | 216 | 217 | 218 | 219 | 220 | 221 | 222 | 223 | 224 | 225 | 226 | 227 | 228 | 229 | 230 | 231 | 232 | 233 | 234 | 235 | 236 | 237 | 238 | 239 | 240 | 241 | 242 | 243 | 244 | 245 | 246 | 247 | 248 | 249 | 250 | 251 | 252 | 253 | 254 | 255 | 256 | 257 | 258 | 259 | 260 | 261 | 262 | 263 | 264 | 265 | 266 | 267 | 268 | 269 | 270 | 271 | 272 | 273 | 274 | 275 | 276 | 277 | 278 | 279 | 280 | 281 | 282 | 283 | 284 | 285 | 286 | 287 | 288 | 289 | 290 | 291 | 292 | 293 | 294 | 295 | 296 | 297 | 298 | 299 | 300 | 301 | 302 | 303 | 304 | 305 | 306 | 307 | 308 | 309 | 310 | 311 | 312 | 313 | 314 | 315 | 316 | 317 | 318 | 319 | 320 | 321 | 322 | 323 | 324 | 325 | 326 | 327 | 328 | 329 | 330 | 331 | 332 | 333 | 334 | 335 | 336 | 337 | 338 | 339 | 340 | 341 | 342 | 343 | 344 | 345 | 346
[目录]